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मुख्य समाचार

सिंहस्थ कुंभ : पहले शाही स्नान से धार्मिक समागम की शुरुआत

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सिंहस्थ कुंभ उज्जैन, पहले शाही स्नान से धार्मिक समागम की शुरुआत, जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाई

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सिंहस्थ कुंभ उज्जैन, पहले शाही स्नान से धार्मिक समागम की शुरुआत, जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाई

उज्जैन| मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में शुक्रवार को पहले शाही स्नान के साथ इस शताब्दी के दूसरे सिंहस्थ कुंभ की शुरुआत हो गई है। शाही स्नान में सबसे पहले जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाई। सिंहस्थ कुंभ में हिस्सा लेने आए साधु संतों की टोलियों के साथ श्रद्घालुओं का मेला उमड़ आया है। श्रद्घालुओं की भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। पहला शाही स्नान होने की वजह से महाकाल की नगरी में शुक्रवार को साधु-संतों की भारी भीड़ नजर आ रही है। परंपरा के मुताबिक, कुंभ में सबसे पहले अखाड़ों के नागा साधु और उसके बाद महामंडलेश्वर स्नान करते है। उसके बाद ही आम लोगों को क्षिप्रा नदी में स्नान की अनुमति होती है।

सिंहस्थ कुंभ : उज्जैन

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा तय किए गए अखाड़ों के क्रम के अनुसार, सबसे पहले श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा स्नान के लिए भेरूपुरा, हनुमानगढ़ी, शंकराचार्य चौक होते हुए छोटीरपट, केदारघाट, एवं दत्त अखाड़ा घाट पहुंचा। नागा साधुओं के बाद महामंडलेश्वर आदि ने स्नान किया। उसके बाद यह अखाड़ा निर्धारित मार्ग से अपनी छावनी को वापस चला गया। इस अखाड़े के साथ श्री पंचायती आवहन अखाड़ा एवं श्री पंचायती अग्नि अखाड़ा के साधुओं ने भी स्नान किया। सभी 13 अखाड़ों के लिए दत्त अखाड़ा घाट और रामघाट पर स्नान की व्यवस्था की गई है। सभी अखाड़े अपने क्रम के अनुसार अपने अपने शिविर से निकलकर निर्धारित मार्ग से क्षिप्रा नदी के घाटों पर पहुंच रहे हैं।

इन अखाड़ों के स्नान के बाद ही आम श्रद्घालु स्नान कर सकेंगे। अखाड़ों के स्नान का यह सिलसिला दोपहर डेढ़ बजे तक चलेगा। शाही स्नान के दौरान सुरक्षा-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सडकों पर विभिन्न सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है तो नदी में गोताखोर, नगर सैनिक और एनडीआरएफ के दस्ते की तैनाती की गई है। इसके अलावा नदी मे सुरक्षा बलों की नौकाएं भी मौजूद हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्रगिरि महाराज ने संवाददाताओं से कहा, “यह क्षिप्रा नदी के तट पर अनोखा नजारा है, यहां शैव और वैष्णव संप्रदाय दोनों के साधु संत स्नान कर रहे है। व्यवस्थाएं चौकस हैं और जरूरत की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।”

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नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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