अन्तर्राष्ट्रीय
‘जेएनयू के विद्यार्थियों को भारत-विरोधी कहना कलंक’
इस्लामाबाद| भारत के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू)में विरोध-प्रदर्शनों पर आई प्रतिक्रिया ने इस देश का असली चेहरा सामने ला दिया है और यह ‘शाइनिंग इंडिया’ मत का प्रचार नहीं है। यह बात शुक्रवार को पाकिस्तान के एक दैनिक समाचारपत्र ने अपने संपादकीय में कही। ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ समाचारपत्र ने अपने संपादकीय ‘भारत में फासीवादी लड़ाई’ में कहा कि जेएनयू में हुए विरोध-प्रदर्शन पर उमड़ी प्रतिक्रिया ने आज के भारत का असली चेहरा दिखाया है। यह उस शाइनिंग इंडिया मत का प्रचार नहीं है, जिसके बारे में हमने इतना सुना है। जेएनयू के साहसी विद्यार्थियों को भारत-विरोधी करार देना एक कलंक है।’
संपादकीय में कहा गया, “पुलिस ने पहले प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों से बदसलूकी की और छात्र संघ के नेता कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर लिया। उसके बाद उन्होंने एक रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को गोमांस खाते देखा था और बताया कि वे दो सालों से विद्यार्थियों पर नजर रख रहे थे।” कहा गया, “उसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने प्रदर्शनकारियों को भारत विरोधी बताया और यह जानने कि कोशिश की कि वे पाकिस्तान से तो जुड़े नहीं हुए हैं। पहले कहा गया कि इस विरोध-प्रदर्शन के पीछे हाफिज सईद है और अब जेएनयू के पीएचडी के छात्र उमर खालिद पर पाकिस्तानी आतंकवादी समूह का हिस्सा होने का आरोप लगा रहे हैं।” समाचारपत्र ने कहा कि ‘जेएनयू के बहादुर विद्यार्थियों को भारत विरोधी कहना कलंक है।’
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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