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जीबीसी 4.0 : ‘भूमि उपलब्धता’ बनी उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर निवेश आकर्षित करने का माध्यम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश को विकास के नए सोपानों की ओर अग्रसर कर रही योगी सरकार ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी) 4.0 के जरिए नया इतिहास रचने जा रही है। लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 19 से 21 फरवरी के मध्य आयोजित होने जा रहे जीबीसी-4 के जरिए योगी सरकार 10 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स को धरातल पर उतारने जा रही है। इस बड़ी उपलब्धि को हासिल करने की ओर बढ़ रही योगी सरकार ने प्रदेश में 25 से अधिक सेक्टोरल पॉलिसीज को लागू किया था जो स्पष्ट रूप से असर दिखा रही है। इसके अतिरिक्त, जिस फैक्टर ने उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा परियोजनाओं को धरातल पर उतारने में मदद की वह भूमि उपलब्धता रही। इससे न केवल प्रदेश में बड़े स्तर पर निवेश आकर्षित हुए बल्कि इन प्रोजेक्ट्स को धरातल पर उतारने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ जिससे उत्तर प्रदेश देश में विकास के ग्रोथ इंजन के तौर पर अपनी छवि को और पुख्ता कर रहा है।
औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के पास बड़ा लैंड बैंक है उपलब्ध
प्रदेश में लाखों स्क्वेयर मीटर क्षेत्र इंडस्ट्रियल लैंड बैंक के तौर पर प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक विकास प्राधिकरणों में चिह्नित हैं। इनमें से गीडा, यीडा व नोएडा प्रमुख हैं। उल्लेखनीय है कि अकेले उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) के पास ही 17.56 लाख स्क्वेयर मीटर क्षेत्र वेकेंट एरिया के तौर पर उपलब्ध है जबकि 80.47 हजार स्क्वेयर मीटर क्षेत्र उ.प्र डिफेंस कॉरिडोर के पास एलोकेशन के लिए उपलब्ध है। गौरतलब है कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने उद्योगों को 2,568 भूखंड आवंटित किए हैं, जबकि 2,07,924 वर्ग मीटर भूमि आवंटन हेतु उपलब्ध है। इसी तरह, नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने 11,162 औद्योगिक भूखंड आवंटित किए हैं जबकि 1,734.74 वर्ग मीटर का क्षेत्र आवंटन के लिए लंबित है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने औद्योगिक इकाइयों को 981 भूखंड आवंटित किए हैं जबकि 5,87,106 वर्ग मीटर का आवंटन किया जाना बाकी है। इसी प्रकार, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान उद्योगों को 244.21 एकड़ के कुल 261 भूखंड आवंटित किए हैं।
निवेश सारथी बना जानकारियों की निर्बाध पहुंच का माध्यम
सीएम योगी के विजन अनुसार, सभी औद्योगिक विकास प्राधिकरण निवेश सारथी पोर्टल पर खाली भूखंडों पर व्यापक डेटा सावधानीपूर्वक अपलोड कर रहे हैं, जिससे निवेशकों को इन संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों तक निर्बाध पहुंच मिल रही है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न औद्योगिक विकास पोर्टलों ने भी अपने संबंधित प्लेटफार्मों पर उपलब्ध भूखंडों के संबंध में विवरण साझा किया है। यह पारदर्शिता और पहुंच सुनिश्चित करती है कि संभावित निवेशक आसानी से अवसरों का पता लगा सकें और उनका आकलन कर सकते हैं। नए निवेशकों के लिए रुग्ण इकाइयों की भूमि उपलब्ध कराने का प्राविधान, पात्र निवेशकों को भूमि खरीद में स्टांप शुल्क की छूट, ‘उत्तर प्रदेश एफडीआई, फॉर्च्यून ग्लोबल 500 एवं फॉर्च्यून इंडिया 500 कंपनियों की निवेश प्रोत्साहन नीति 2023’ के तहत भूमि सब्सिडी समेत कई प्रकार के विशिष्ट प्रोत्साहन योगी सरकार द्वारा निवेशकों को प्रदान किया जा रहा है जो प्रदेश में निवेश के नए अध्याय सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।
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कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत
नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।
मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।
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