Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

संघर्षग्रस्त देशों में 2 करोड़ बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ा : यूनिसेफ

Published

on

Loading

संयुक्त राष्ट्र। संघर्षग्रस्त देशों में रह रहे दो करोड़ से ज्यादा बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। युनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रन्स फंड (यूनिसेफ) को अंदेशा है कि यदि आपातकालीन परिस्थितियों में रह रहे बच्चों को शिक्षा मुहैया नहीं कराई गई तो बच्चों की एक पीढ़ी उन कौशलों के अभाव में बड़ी होगी, जिनकी उन्हें अपने देश व देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए जरूरत है।

यूनिसेफ शिक्षा प्रमुख जो बोर्न ने सोमवार को एक बयान में कहा, “स्कूल पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले बच्चों को संघर्ष खत्म होते ही वह ज्ञान व कौशल देंगे, जिनकी उन्हें अपने समुदाय के पुनर्निर्माण में जरूरत है। यूनिसेफ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, स्कूली पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले देशों में दक्षिण सूडान सबसे आगे है, जहां 51 फीसदी बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया है। वहीं, अफ्रीकी देश नाइजर में 47 फीसदी बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। अफगानिस्तान एवं सूडान में 40 फीसदी या इससे अधिक बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। बोर्न ने कहा, “संघर्षग्रस्त देशों में रहने वाले बच्चों ने अपने परिवार, परिजन, दोस्त, सुरक्षा व अपनी दिनचर्या खो दी है।”

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

Published

on

Loading

नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

Continue Reading

Trending