अन्तर्राष्ट्रीय
18000 भारतीयों की चिंता, इजरायल-हमास की लड़ाई पर भारत ने शुरू किया ‘ऑपरेशन अजय’
नई दिल्ली। इजरायल और आतंकी संगठन हमास के बीच जब से लड़ाई छिड़ी है, वहां रहने वाले भारतीयों की चिंता बढ़ गई है। इस घटनाक्रम पर पहली प्रतिक्रिया के तौर पर भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन अजय’ शुरू किया है। इसके जरिए इजरायल में फंसे भारतीय नागरिकों को स्वदेश लाया जाएगा।
सरकार ने 24 घंटे तक ऐक्टिव रहने वाला कंट्रोल रूम भी बना दिया है। हालात पर पैनी नजर रखी जा रही है। इजरायल में इस समय करीब 18,000 भारतीय रहते हैं। गाजा में इजरायल बड़े पैमाने पर बमबारी कर रहा है। अमेरिका समेत कई देश खुलकर इजरायल का सपोर्ट कर रहे हैं। लेबनान से भी तनाव बढ़ने की आशंका जताई गई है।
मुस्लिम देश गाजा पट्टी (फिलिस्तीन) के सपोर्ट में खड़े दिख रहे हैं। इस बीच गाजा में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बंद कर दी गई है। पूरे इलाके को इजरायली सैनिकों ने घेर रखा है। अब तक 3000 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग घायल हुए हैं। इजरायल से भारतीयों को कैसे निकाला जाएगा, इस अभियान के बारे में 11 पॉइंट्स में समझिए।
इस ऑपरेशन में क्या-क्या होगा, क्या भारत को नुकसान होगा?
- इजरायल से स्वदेश वापस आने की इच्छा रखने वाले भारतीयों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने ‘ऑपरेशन अजय’ शुरू किया है। हमास आतंकियों और इजरायल के बीच 6 दिन से लड़ाई चल रही है।
- विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘इजरायल से लौटने के इच्छुक हमारे नागरिकों की वापसी के लिए ‘ऑपरेशन अजय’ शुरू कर रहे हैं।’ वैसे, जयशंकर इस समय श्रीलंका की यात्रा पर हैं। उन्होंने कहा कि विशेष चार्टर उड़ानों का प्रबंधन और दूसरी व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
- भारतीयों के पहले जत्थे को बृहस्पतिवार को एक विशेष उड़ान के जरिए इजरायल से वापस लाए जाने की उम्मीद है।
- इजरायल में भारतीय दूतावास ने जयशंकर की घोषणा के तुरंत बाद कहा कि उसने बृहस्पतिवार को विशेष उड़ान के लिए रजिस्टर किए गए भारतीयों के पहले जत्थे को ई-मेल भेज दिया है। आगे की उड़ानों के लिए अन्य पंजीकृत लोगों को संदेश भेजे जाएंगे।
- कुछ दिन पहले इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर हुई बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने वहां फंसे भारतीयों की सुरक्षा पर चिंता जताई थी।
- हमास के इजरायल पर रॉकेट हमले के फौरन बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने आतंकी हमले की निंदा करते हुए हर तरह के आतंकवाद की कड़े शब्दों में आलोचना की थी।
- आशंका इस बात की जताई जा रही है कि तनाव बढ़ने पर पूरे क्षेत्र में अशांति फैल सकती है। इससे भारत के लिए ऊर्जा सप्लाई प्रभावित हो सकती है। दूसरी बड़ी चिंता विशाल भारतीय समुदाय है, जो वहां रहता है।
- वैसे, भारत इजरायल, यूएई, अमेरिका सभी से संबंध मजबूत रखना चाहता है। अगर तनाव बढ़ता है तो हाल में लॉन्च की गई भारत-मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर भी प्रभावित हो सकता है।
- यह लड़ाई ऐसे समय में छिड़ी है जब गल्फ देश इजरायल से संबंधों को सामान्य बनाने के इच्छुक दिख रहे थे।
- बहरीन में भारतीय राजदूत रहे मोहन कुमार का कहना है कि इस संघर्ष से भारत के हितों के दीर्घकालिक रूप में प्रभावित होने की संभावना नहीं है। यह I2U2 देशों (India, Israel, UAE and US) के बीच सहयोग को मजबूत कर सकता है।
- बुनियादी ढांचे पर आधारित IMEC (इकोनॉमिक कॉरिडोर) जरूर प्रभावित हो सकता है लेकिन समस्याएं ज्यादा कठिन नहीं होंगी। भारत आतंकवाद से पीड़ित रहा है। ऐसे में हमास के हमले की उसकी निंदा भी उस भावना के अनुरूप है।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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