Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

सीएम योगी के साढ़े चार साल के कार्यकाल में विलुप्त 68 से अधिक नदियां हुईं पुनर्जीवित

Published

on

Loading

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि युद्ध के मैदान से अलग वीरता का यह उदाहरण हमारे देश वासियों के संकल्प शक्ति को दिखाता है और यह भी बताता है कि अगर हम ठान लें, तो कुछ भी असंभव नहीं है। तभी तो मैं कहता हूं, सबका प्रयास। उन्होंने कहा कि जब हम प्रकृति का संरक्षण करते हैं, तो बदले में हमें भी प्रकृति संरक्षण और सुरक्षा देती है। इस बात को हम अपने निजी जीवन में भी अनुभव करते हैं। यह बातें उन्होंने मन की बात कार्यक्रम में रविवार को कहीं। उन्होंने कहा कि श्रीमति ज्योत्सना ने मुझे चिट्ठी लिखकर बताया है।

जालौन में एक पारंपरिक नदी थी, नून नदी। नून यहां के किसानों के लिए पानी का प्रमुख श्रोत हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे लुप्त होने के कगार पर पहुंच गई, जो थोड़ा बहुत अस्तित्व इस नदी का बचा था, उसमें वह नाले में तब्दील हो रही थी। इससे किसानों के लिए सिंचाई का संकट भी खड़ा हो गया था। जालौन के लोगों ने इस स्थिति को बदलने का बेड़ा उठाया। इसी साल मार्च में एक कमेटी बनाई गई। हजारों ग्रामीण और स्थानीय लोग स्वत: स्फूर्ति भाव से इस अभियान से जुड़े। यहां के पंचायतों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर काम शुरु किया और आज इतने कम समय में, बहुत कम लागत में यह नदी फिर से जीवित हो गई है। कितने ही किसानों को इसका फायदा हो रहा है।

2018 से नदियों के पुनरुद्धार का कार्य करा रही योगी सरकार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले साढ़े चार वर्षों में नदियों के संरक्षण की दिशा में बड़े पैमाने पर कार्य किया है। प्रदेश में विलुप्त हो चुकी 68 से अधिक नदियों को पुनर्जीवित किया गया है। प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2018-19 से मनरेगा के तहत विभिन्न नदियों के पुनरुद्धार का कार्य कराया जा रहा है। इन्हीं में से एक जालौन में विलुप्त हो चुकी नून नदी के पुनर्जीवित होने की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में की।

ये नदियां हुई पुनर्जीवित

वित्तीय वर्ष 2018-19 में छह नदियों अरिल नदी, मंदाकिनी नदी, कर्णावती नदी, वरुणा नदी, मोरवा नदी और गोमती नदी, वित्तीय वर्ष 2019-20 में 26 जिलों के 19 नदियों टेढी नदी, मनोरमा नदी, पांडु नदी, वरुणा नदी, ससुर खदेड़ी, सई नदी, गोमती नदी, अरिल नदी, मोरवा नदी, मंदाकिनी नदी, तमसा नदी, नाद नदी, कर्णावती नदी, बान नदी, सोत नदी, काली पूर्व नदी, डाढ़ी नदी, ईशन नदी, बूढ़ी गंगा नदी, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 36 जिलों की 25 नदियों टेढ़ी नदी, मनोरमा नदी, पांडु नदी, वरुणा नदी, ससुर खदेड़ी, सई नदी, गोमती नदी, अरिल नदी, मोरवा नदी, मंदाकिनी नदी, तमसा नदी, नाद नदी, कर्णावती नदी, बान नदी, सोत नदी, काली पूर्वी नदी, डाढ़ी नदी, ईशन नदी, बूढ़ी गंगा, कुंवर, कल्याणी, बेलन, सिरसा, किवाड़, ऊटगन को पुनर्जीवित किया गया है।

सीएम योगी ने पीएम मोदी को धन्यवाद दिया
मुख्यमंत्री योगी ने जन कल्याणकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में यूपी की डबल इंजन सरकार को लगातार सहयोग मार्गदर्शन करने के लिये प्रधान मंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।

उत्तर प्रदेश

हेल्थ सेक्टर में योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि, 35 हेल्थ यूनिट्स को मिला ‘एनक्वास’

Published

on

Loading

लखनऊ| योगी सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के योगी सरकार के प्रयास का ही नतीजा है कि प्रदेश की 35 और स्वास्थ्य इकाइयों को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्वास) सर्टिफिकेट मिला है। इसके साथ ही प्रदेश में एनक्वास प्रमाणित स्वास्थ्य इकाइयों की संख्या बढ़कर 217 पहुंच गई है। यह प्रमाण पत्र प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों को गुणवत्तापूर्ण इलाज, स्वास्थ्य के मानकों को पूरा करने एवं उस पर खरा उतरने पर मिला है। बता दें कि एनक्वास के तहत स्वास्थ्य इकाइयों की सेवा गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिए किए गए ठोस प्रयासों से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मिशन निदेशक डा. पिंकी जोवल ने हाल ही में प्रदेश के सभी अपर निदेशकों व सीएमओ को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया है कि वर्ष 2025 तक 50 प्रतिशत और वर्ष 2026 तक सभी स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाणित कराने के निर्धारित लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में अपने कार्य को गति दें।

32 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को मिला प्रमाण पत्र

एनएचएम की मिशन निदेशक ने बताया कि सीएम योगी की नीतियों का असर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में दिखने लगा है। इसके तहत प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों में प्रदेशवासियों को सस्ता और गुणवत्तापूर्ण इलाज दिया जा रहा है। यही वजह है कि पिछले पांच माह में 35 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाण पत्र मिला है, जिसमें 32 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। एनएचएम के महाप्रबंधक क्वालिटी एश्योरेंस डॉ. निशांत कुमार जायसवाल ने बताया कि इस वर्ष एनक्वास पाने वाली सीएचसी में वाराणसी की चोलापुर और रामपुर की बिलासपुर सीएचसी शामिल हैं। इसके साथ ही प्रदेश में एनक्वास प्रमाणित स्वास्थ्य इकाइयों की संख्या बढ़कर 217 पहुंच गई है। एनक्वास प्रमाण पत्र के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता मूल्यांकनकर्ता डॉ. मुस्तफा खान ने बताया कि एक बार जब किसी स्वास्थ्य इकाई को एनक्वास प्रमाणपत्र मिल जाता है तो यह निश्चित है कि वहां आने वाले सभी रोगियों के लिए अंतरराष्ट्रीय संचालन प्रक्रिया और मानक उपचार दिशानिर्देशों का पालन होगा। इसका मतलब है कि सभी रोगियों को यह विश्वास हो जाता है कि उनका इलाज उसी प्रक्रिया से किया जा रहा है, जिस प्रक्रिया से अमेरिका या ब्रिटेन में किसी अन्य रोगी का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्र रोगी के अधिकारों, जिम्मेदारी और अस्पताल के कर्मचारियों की संतुष्टि को भी सुनिश्चित करता है।

प्रदेश में एनक्वास पाने वाली स्वास्थ्य इकाइयों में राजधानी अव्वल

प्रदेश में अब तक कुल 95 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और 122 अन्य स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्राप्त हो चुका है। इनमें लखनऊ में अब तक सबसे अधिक 15 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास मिला है। इस संबंध में बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुणा ने बताया कि एनक्वास मिलने के बाद उनके अस्पताल में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ी हैं। आईसीयू अपडेट हुआ है। अस्पताल का जो स्टाफ एनक्वास पाने की प्रक्रिया में शामिल था, उन सबमें जिम्मेदारी की भावना बढ़ी है। इनमें पहले स्थान पर राजधानी है। राजधानी के सिविल अस्पताल, झलकारी बाई अस्पताल, अवंती बाई अस्पताल, रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल, आरएमएल अस्पताल, बख्शी का तालाब व सरोजनी नगर सीएचसी व पांच आयुष्मान आरोग्य मंदिर को एनक्वास प्रमाण पत्र मिला है। वहीं दूसरे नंबर पर प्रयागराज है, जहां 12 स्वास्थ्य इकाइयों को अब तक एनक्वास मिल चुका है। सिर्फ एक स्वास्थ्य इकाई में एनक्वास पाने वाले जिलों में सीतापुर, हरदोई, बरेली, मुरादाबाद, औरेया, बागपत, बहराइच, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, सिद्धार्थनगर, बुलंदशहर शामिल हैं।

इन मानकों पर खरा उतरने पर मिलता है एनक्वास

एनक्वास, भारत सरकार की संस्था ‘नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर” द्वारा दिया जाने वाला राष्ट्रीय प्रमाणपत्र है जो स्वास्थ्य इकाइयों को विभिन्न मानकों पर परखने और मानक पूरा होने पर प्राप्त होता है। एनक्वास न सिर्फ जिला अस्पताल, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व आयुष्मान आरोग्य मंदिर को मिल सकता है। इसके तहत सरकारी अस्पतालों के मुख्य आठ विभागों की सेवाएं को मापदंड पर परखा जाता है। इन विभागों में अंत: रोगी विभाग, रेडियोलॉजी विभाग, प्रसूति वार्ड, ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर, प्रयोगशाला, फार्मेसी, प्रशासनिक विभाग, सेवा विभाग का कामकाज देखा जाता है। इनके अलावा बायोमैट्रिक हाजिरी, ई-उपचार, मरीजों को मिलने वाला भोजन भी टीम परखती है। साथ ही सेवा प्रदाताओं के व्यवहार का भी आकलन किया जाता है।

Continue Reading

Trending