मुख्य समाचार
मप्र: भोजशाला के बाहर हुआ हवन-पूजन, नमाज के लिए कड़ी सुरक्षा
धार| मध्य प्रदेश के धार जिले की ‘भोजशाला’ में शुक्रवार को वसंत पंचमी पर भोज उत्सव समिति ने हवन-पूजन करने से इंकार कर दिया और इसके बाहर ही हवन-पूजन किया। वहीं भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जुमे की नमाज कराने के इंतजाम हैं। शुक्रवार को वसंत पंचमी के मद्देनजर सरकार के प्रतिनिधि प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा और प्रशासन के नुमाइंदे लगातार दोनों पक्षों के बीच सामंजस्य बैठाने की कोशिश में लगे रहे। सुबह में भारी संख्या में हिंदू लोग पूजन की सामग्री लेकर भोजशाला के अंदर पहुंचे। उस वक्त लग रहा था कि मामला शांति से निपट जाएगा। भोजशाला के भीतर हवन-पूजन शुरू होता, इससे पहले ही भोज उत्सव समिति के सदस्य बाहर आ गए। समिति के अशोक जैन बाहर आए और कहा कि भोजशाला के अंदर ऐसे लोग एकत्रित हैं, जिनका इस आयोजन से कोई लेना-देना नहीं है, लिहाजा अब वह बाहर ही पूजा करेंगे। ऐसे में हिंदू समाज के लोग भोजशाला से बाहर आ गए। भोज उत्सव समिति का आरोप है कि भोजशाला परिसर को छावनी बना दिया गया हैे। लिहाजा उन्होंने भोजशाला के बाहर ही हवन-पूजन करने का फैसला लिया है। बड़ी संख्या में लोग भोजशाला पहुंच रहे हैं, लेकिन अधिकांश लोग बाहर बने हवन कुंड में आहूति देकर पूजा कर रहे है। संभवत: यह पहला मौका है, जब भोजशाला के बाहर पूजन और हवन हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआई) ने वसंत पंचमी शुक्रवार के दिन होने के कारण पूजा और नमाज का समय तय किया था। इसके मुताबिक, सूर्योदय से लेकर दोपहर 12 बजे तक पूजा और अपराह्न् एक से तीन बजे के मध्य नमाज होगी। यहां प्रति मंगलवार को पूजा और शुक्रवार को जुमे की नमाज होती है। प्रशासन ने भोजशाला के आसपास और पूरे धार में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबल तैनात है। सुरक्षा की दृष्टि से लगभग छह हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। इसके अलावा ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जा रही है। प्रशासन लगातार यही कहता रहा है कि एएसआई ने पूजा व नमाज की जो व्यवस्था की है, उसका हर हाल में पालन होगा। वहीं भोज उत्सव समिति और हिंदू जागरण मंच के लोग सूर्योदय से सूर्यास्त तक हवन-पूजा करने की बात कह रहे हैं।
धार एक ऐतिहासिक नगरी है, यहां राजा भोज ने 1010 से 1055 ईसवी तक शासन किया। उन्होंने 1034 में धार नगर में सरस्वती सदन की स्थापना की। बाद में इसे ‘भोजशाला’ नाम से जाना गया, यहां सरस्वती (वाग्देवी)की प्रतिमा स्थापित की गई। इस प्रतिमा को 1880 में एक अंग्रेज अपने साथ लंदन ले गया। वर्तमान में यह प्रतिमा लंदन में ही है। भोजशाला को 1909 में संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया गया था। बाद में भोजशाला को पुरातत्व विभाग के अधीन कर दिया गया। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर पता चलता है कि कुछ लोगों द्वारा भोजशाला को मस्जिद बताए जाने पर धार स्टेट ने ही 1935 में परिसर में जुमे की नमाज पढ़ने की अनुमति दे दी। तभी से यह व्यवस्था चली आ रही है। कई बार विवाद बढ़ने पर कई सालों के लिए नमाज और पूजा का दौर भी थमा रहा। 2003 से पूजा व नमाज का सिलसिला लगातार चला आ रहा है। इस दौरान 2003, 2006 और 2013 में वसंत पंचमी शुक्रवार को पड़ी, तो विवाद हुआ। 2003 में हिंसा भी हुई थी।
अन्तर्राष्ट्रीय
हेलीकॉप्टर क्रैश में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत, विदेश मंत्री की भी गई जान
नई दिल्ली। एक हेलीकॉप्टर हादसे में में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन की मौत हो गई है।
अजरबैजान के घने और पहाड़ी इलाके में रविवार को राष्ट्रपति का विमान क्रैश हो गया था। इसके बाद ईरान की सेना ने हेलीकॉप्टर की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, जिसमें विमान का मलबा मिल गया। हालांकि, दुर्घटनास्थल पर जीवन के कोई संकेत नहीं मिले हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद राष्ट्रपति रईसी के जीवित होने की उम्मीदें न के बराबर हैं। आपको बता दें कि रविवार को ईरान के राष्ट्रपति के हेलिकॉप्टर से अधिकारियों का संपर्क टूट गया था, इसके बाद से ही राष्ट्रपति रईसी लापता थे।
बता दें कि अजरबैजान के जंगल में खराब मौसम की वजह से इब्राहिम रईसी के विमान की आपात लैंडिंग कराई गई थी, जिससे हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कई घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद ईरान की जांच एजेंसियों को विमान का मलबा मिला। इसके बाद ईरानी मीडिया ने हेलीकॉप्टर हादसे में राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की मौत की पुष्टि की। ईरानी रेड क्रिसेंट प्रमुख ने बताया कि बचाव टीमें दुर्घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं। इस हादसे में विमान का पूरा केबिन जलकर राख हो गया, जिसमें किसी के जिंदा होने के निशान नहीं मिले हैं। इस बीच ईरानी न्यूज एजेंसी ने बताया कि हादसे में किसी के बचने की कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि राष्ट्रपति का चॉपर पूरी तरह से तबाह हो गया।
ईरान के प्रेस टीवी के अनुसार, रेस्क्यू दल ने ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हेलीकॉप्टर का पता लगा लिया है। दुर्घटनास्थल पर किसी भी जीवित व्यक्ति का कोई सुराग नहीं मिला है। आपको बता दें कि राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी पूर्वी अजरबैजान के दौरे गए थे। वे अपने विमान से राजधानी तेहरान लौट रहे थे, तभी उत्तर-पश्चिम में अजरबैजान देश की सीमा से सटे जुल्फा शहर के पास हादसा हो गया। उनके साथ हेलीकॉप्टर में विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन, पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
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