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प्रादेशिक

वाई फाई से लैस होगा बांदा मेडिकल कॉलेज

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वाई फाई से लैस होगा बांदा मेडिकल कॉलेज

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वाई फाई से लैस होगा बांदा मेडिकल कॉलेज

बांदा। उत्तर प्रदेश के चित्रकूटधाम मंडल के आयुक्त एल. वेंकटेश्वरलु ने बताया कि बांदा के राजकीय मेडिकल कालेज मंे अब वाईफाई की सुविधा रहेगी। 

उन्होंने बताया कि मैडलार लैब के लिए 10 लाख रुपये लखनऊ अपट्रॉन पावर ट्रानिस्क लिमिटेड को जारी कर दिए गए हैं। मेडलार लैब बन जाने से लाइब्रेरी में कम्प्यूटर, इंटरनेट व वाईफाई की सुविधा रहेगी। इससे मेडिकल छात्र ई-लाइब्रेरी के माध्यम से अत्याधुनिक जानकारियों से भिज्ञ हो सकेंगे।

आयुक्त ने बताया कि बुंदेलखंड विकास निधि, राज्यांश से जनपद बांदा के दो अवशेष कार्यो के लिए 41 लाख 35 हजार रुपये जारी कर शासन ने कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं।

जनपद बांदा के वनवरौली का मजरा, चुनकाई का मजरा संपर्क के लिए 82 लाख 63 हजार रुपये स्वीकृत थे, शेष धनराशि पूर्व में जारी की जा चुकी है। साथ ही वनवरौली का मजरा स्वामीदीन का डेरा संपर्क मार्ग की लागत 1 करोड़ 44 लाख 93 हजार रुपये थे। एक करोड़ 5 लाख पूर्व जारी किए जा चुके हैं।

यह कार्य प्रांतीय खंड, लोक निर्माण विभाग बांदा द्वारा कराया जा रहा है। आयुक्त ने कार्यो को उच्च गुणवत्ता के साथ कराकर जनोपयोगी बनाने के निर्देश दिए हैं।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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