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इरोम शर्मिला रिहाई के दो दिन बाद फिर गिरफ्तार

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इरोम शर्मिला, रिहाई के दो दिन बाद फिर गिरफ्तार, सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम हटाने की मांग

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इरोम शर्मिला, रिहाई के दो दिन बाद फिर गिरफ्तार, सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम हटाने की मांग

इम्फाल| सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम हटाने की मांग को लेकर पिछले कई वर्षो से भूख हड़ताल कर रहीं इरोम शर्मिला को बुधवार को एक बार फिर गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दो दिन पहले ही रिहा किया गया था। उन्हें आत्महत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अदालत ने उन्हें इसका दोषी नहीं पाया और रिहाई के आदेश दिए थे। शर्मिला जहां भूख हड़ताल पर बैठीं थी, उस स्थान को ध्वस्त कर दिया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 309 (आत्महत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। जिला एवं सत्र अदालत ने 29 फरवरी को उन्हें आत्महत्या करने का दोषी नहीं पाते हुए उनकी रिहाई के आदेश दिए थे। यह दूसरी बार था जब उन्हें रिहा किया गया। रिहाई के कुछ देर बाद ही वह जे.एन. इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से बाहर निकल गईं और एक बार फिर भूख हड़ताल शुरू करने के लिए सार्वजनिक पार्क की ओर बढ़ीं, जहां शहीद मीनार बनाई गई है।

अफ्सपा हटाने की मांग को लेकर विगत कई वर्षों से भूख हड़ताल पर हैं इरोम

यहां कई महिलाएं उनके समर्थन में आईं। छात्र कार्यकर्ताओं ने भी उनके साथ अपनी एकजुटता दर्शाई। शर्मिला के खिलाफ इसी आरोप में एक और मामला नई दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहा है।शर्मिला का कहना है कि वह अपने जीवन से बेहद प्यार करती हैं और सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 को हटाने के लिए भूख हड़ताल को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं। शर्मिला ने मंगलवार को स्वास्थ्य जांच कराने से भी इनकार कर दिया था। चिकित्सक उन्हें डिहाइड्रेशन को लेकर चिंतित थे। उन्हें चिकित्सकीय माध्यम से जबरन भोजन देने के लिए नाक में जो पाइप लगाई गई है, वह भी हटा दी गई थी। इसे देखते हुए उन्हें तुरंत स्वास्थ्य जांच के लिए जे.एन. इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस ले जाया गया। इसके बाद, उन्हें सुरक्षा वार्ड में वापस भेज दिया गया, जहां वह पिछले 15 साल से रह रही हैं।

नेशनल

संजय सिंह ने एग्जिट पोल को बताया बेबुनियाद, बंद कराने की उठाई मांग

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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने से पहले आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने एग्जिट पोल्स की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने एग्जिट पोल्स को बंद कराने की मांग भी की है। उनका कहना है कि ये एग्जिट पोल बेबुनियाद होते हैं। इसके लिए उन्होंने कई तर्क भी दिए। उन्होंने कहा कि जहां जितनी सीटें नहीं, उतनी सीटों पर चुनाव लड़वा रहे। कहीं भाजपा को दे रहे कुल वोट से ज्यादा शेयर तो कहीं उस पार्टी को चुनाव लड़वा दिया, जिसने उम्मीदवार ही नहीं उतारे।

उन्होंने कहा कि झारखंड में सीपीआईएम चुनाव ही नही लड़ रही है और उसे 2 से 3 सीट दे रहे हैं। तमिलनाडु में कांग्रेस खुद 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और एक्जिट पोल कांग्रेस को 13 सीट जीता रहे हैं। तमिलनाडु को बीजेपी को 34% वोट शेयर मिला है। बीजेपी खुद इस पर विश्वास नहीं कर रही। उत्तराखंड में कुल सीट 5 हैं, लेकिन बीजेपी 6 सीटों पर जीत रही है। हिमाचल में मतगणना होगी 4 सीट पर और आएंगी 6 सीट।

संजय सिंह ने कहा “राजस्थान 25 सीट पर नतीजे आएंगे और 33 सीटें मिल जाएंगी। यूपी में एनडीए की सीटें बढ़ गईं, इंडिया गठबंधन की घट गईं। केरल में 27 % वोट शेयर बीजेपी सुन कर बेहोश हो गई। ये कौन सा एक्जिट पोल है। एक्जिट पोल के इतिहास पर भी सवाल करते हुए उन्होंने कहा कि 2004 में एक्जिट पोल ने बीजेपी को जिता दिया था। बंगाल विधानसभा में बीजेपी को जिता दिया था, जबकि नतीजे इसके उलट रहे थे।

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