लाइफ स्टाइल
भावनाओं के प्रति अधिक सकारात्मक होते हैं बुजुर्ग
न्यूयार्क| स्थिरता, उदासी और अकेलेपन जैसी भावनाओं के प्रति युवाओं की तुलना में 60 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले बुजुर्ग व्यक्ति अधिक सकारात्मक होते हैं। एक अध्ययन से यह सामने आया है। शोध के अनुसार, बुजुर्गो में विभिन्न भावनाओं को अधिक सकारात्मक और सक्रिय ढंग से समझने की क्षमता युवाओं से अधिक होती है। युवाओं की तुलना में बुजुर्गो को भावनाएं अधिक प्रोत्साहित करती हैं।अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स अमहर्स्ट से इस अध्ययन के शोधार्थी रेबेका रेडी ने बताया, “बुजुर्ग युवाओं की तुलना में विभिन्न भावनाओं को अधिक शांति से ग्रहण करते हैं। ” इस शोध के लिए 60-92 आयु वर्ग के 32 बुजुर्गो और 18-32 आयु वर्ग के 11 युवाओं को शामिल किया गया था। इन लोगों को 70 भावात्मक शब्दों को समझने का कार्य दिया गया था।
बुजुर्गो का भावनात्मक शब्दों से अधिक जुड़ाव पाया जाता है
शोधार्थियों ने देखा कि इस दौरान बुजुर्गो का भावनात्मक शब्दों से अधिक जुड़ाव पाया गया। निष्कर्ष बताते हैं, इस कार्य में कई शब्दों पर युवा और बुजुर्ग लगभग समान रहे, लेकिन उनके बीच उदासी, अकेलापन और स्थिरता जैसे शब्दों पर व्यवस्थित मतभेद का उल्लेख मिला। रेडी ने बताया, “हम यह जानकार हैरान हो गए कि बुजुर्गो की तुलना में युवाओं में अकेलापन, निराशा और दुख जैसी भावनाओं के प्रति अधिक जुड़ाव पाया गया। ” यह निष्कर्ष चिकित्सीय रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह मनोचिकित्सक, देखभालकर्ता, चिकित्सीय कार्यकतरओ और अन्य सभी लोगों को बुजुर्गो की बेहतर देखभाल और उनकी भावनाओं को समझने की जानकारी प्रदान कर सकते हैं। यह शोध पत्रिका ‘एजिंग एंड मेंटल हेल्थ’ में प्रकाशित हुआ है।
योग एवं आयुर्वेद
ये वर्कआउट्स डिप्रेशन से लड़ने में हैं मददगार, मूड को रखते हैं हैप्पी
नई दिल्ली। भागमभाग वाली जीवनशैली, काम का बोझ, खानपान व अन्य तनावों के चलते आजकल लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिसके चलते कभी-कभी हादसे भी हो जाते हैं। डिप्रेशन से लड़ने में कई वर्कआउट्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डिप्रेशन में किस तरह के वर्कआउट्स फायदेमंद हैं-
- रनिंग
रनिंग करने से बॉडी में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हॉर्मोन्स का सिक्रिशन होता है और कोर्टिसोल का लेवल घटता है जो स्ट्रेस बढ़ाने वाला हॉर्मोन होता है। तनाव की स्थिति में ये हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, तो रनिंग इसे कम करने में प्रभावी है। रनिंग से मसल्स बनने के साथ ही हार्ट व ब्रेन भी हेल्दी रहता है।
- वेट लिफ्टिंग
वेट लिफ्टिंग के जरिए भी हल्के-फुल्के तनाव और अवसाद के लक्षणों से निपटा जा सकता है। वेट ट्रेनिंग के दौरान पूरा फोकस हाथों और शरीर पर होता है बाकी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाता। वेट लिफ्टिंग से मसल्स टोन्ड और स्ट्रॉन्ग होती है। ओवरऑल बॉडी फिट नजर आती है।
- योगा
बिना दौड़भाग के की जाने वाली बहुत ही बेहतरीन फिजिकल एक्टिविटी है योगा। तरह-तरह के शारीरिक मुद्राएं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शरीर के साथ आपके दिमाग पर भी काम करती हैं। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन का सुझाव एक्सपर्ट्स भी देते हैं। योग के महज 1/2 घंटे के अभ्यास से ही आपको अच्छा फील होगा।
- धूप का सेवन
धूप का सेवन तनाव, चिंता और अवसाद को दूर रखने में मददगार होता है। धूप से बॉडी में सेरोटोनिन का प्रोडक्शन होता है जो मूड को हैप्पी रखता है।
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डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सूचना मात्र हैं। अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
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