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मुख्य समाचार

बिहार : इंदिराराज को ब्रिटिश राज से बदतर बताने पर भड़की कांग्रेस

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बिहार, इंदिराराज ब्रिटिश राज से बदतर, भड़की कांग्रेस, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आपातकाल के समय हुए दमन, जयप्रकाश नारायण (जेपी)

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पटना| बिहार सरकार की वेबसाइट पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन काल को ब्रिटिश राज से भी बदतर बताए जाने पर बिहार सरकार में भागीदार कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है। कांग्रेस ने कहा है कि इस बात की शिकायत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की जाएगी। बिहार सरकार की वेबसाइट पर एक लेख में इंदिरा गांधी के निरंकुश शासन और आपातकाल के समय हुए दमन और जयप्रकाश नारायण (जेपी) का जिक्र करते हुए लिखा गया है, “वह जेपी ही थे, जिन्होंने मजबूती से इंदिरा के एकतरफा शासन और उनके छोटे बेटे संजय गांधी का विरोध किया था। जेपी के विरोध को जनता के समर्थन से डर कर ही इंदिरा गांधी ने 26 जून, 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा की और उन्हें गिरफ्तार करवा दिया था। उन्हें दिल्ली के तिहाड़ जेल में रखा गया था, जहां अपराधियों को रखा जाता है।”

इस लेख में बिहार के इतिहास की चर्चा करते हुए लिखा गया है कि आपातकाल का विरोध करने पर लोकनायक जय प्रकाश नारायण के साथ इंदिरा गांधी का व्यवहार ब्रिटिश राज में किए गए बर्ताव से भी खराब था। इस मामले के मीडिया में आने के बाद कांग्रेस के नेता नाराज हो गए हैं। राज्य के शिक्षामंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि प्रत्येक कांग्रेसजन को इंदिरा गांधी पर गर्व है। उन्होंने कहा, “यह उल्लेख पूर्णतया अस्वीकार्य है और उनकी पार्टी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष यह मुद्दा उठाएगी।” कांग्रेस प्रवक्ता सरबत जहां फातिमा ने कहा, “यह न केवल गलत है, बल्कि निंदनीय भी है। हम इस मामले को बिहार सरकार के सामने उठाएंगे।” एक अन्य कांग्रेस नेता प्रेम चंद मिश्रा ने कहा कि पार्टी इस मामले को देखेगी। यह बेहद गंभीर है। इस बीच जनता दल (युनाइटेड) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों को कुरेदना सही नहीं है, सरकारी मशीनरी के तहत काम होता है। उन्होंने कहा कि यह सरकारी बेबसाइट पर उजागर हुआ है और इस पर सरकार उचित निर्णय लेगी।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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