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केजरीवाल ने मोदी, जेटली पर निशाना साधा
नई दिल्ली| मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को पूछा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली दिल्ली और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में कथित अनियमितता के संबंध में जारी जांच से क्यों ‘घबरा’ रहे हैं? दिल्ली सचिवालय पर 15 दिसम्बर को सीबीआई की छापेमारी का हवाला देते हुए केजरीवाल ने ट्वीट किया, “हमने आपकी छापेमारी पर सहयोग दिया था, तो आपको भी सरकार द्वारा गणित जांच आयोग के साथ सहयोग करना चाहिए।”
केजरीवाल ने कहा, “हम आपकी छापेमारी से नहीं डरे, तो आपको जांच आयोग से डर क्यों लग रहा है।”
दिल्ली सरकार ने डीडीसीए में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया है।
जेटली ने 13 सालों तक डीडीसीए के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था।
केजरीवाल ने कहा कि कई टेलीविजन चैनल दावा कर रहे हैं कि, जिस जांच आयोग का उन्होंने आदेश दिया है, वह ‘अवैध’ है। उन्होंने कहा, “क्या सीबीआई की छापेमारी वैध थी?”
जेटली ने केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं द्वारा उन पर डीडीसीए से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों का खंडन किया है।
इस मामले पर जेटली के खिलाफ बयान देने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सांसद कीर्ति आजाद को निलंबित कर दिया है।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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