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अन्तर्राष्ट्रीय

बुर्किना फासो में शांतिपूर्ण मतदान सराहनीय : बान की मून

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संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने बुर्किना फासो में राष्ट्रपति एवं विधायी चुनावों के लिए हुए शांतिपूर्ण मतदान का सोमवार को स्वागत किया। 

बान की मून ने बुर्किना फासो में मतदान में उत्साहपूर्वक से भाग लेने के लिए लोगों को बधाई दी, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों की आस्था का पता चलता है।

जारी बयान के मुताबिक, बान की मून ने विशेष रूप से मतदान प्रक्रिया में महिलाओं की सशक्त भागीदारी को सलाम किया। अभी चुनावी नतीजे आने बाकी हैं। इसे देखते हुए बान की मून ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और लोगों से शांति को बनाए रखने की अपील की है।

उन्होंने सभी दलों से किसी भी तरह के विवाद को सुलझाने का आह्वान किया। अक्टूबर 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति ब्लेस कॉम्पाओरे के इस्तीफे के बाद देश में अब जाकर चुनाव हुए हैं। ये चुनाव 11 अक्टूबर को होने थे लेकिन सितंबर में कॉम्पाओरे के वफादार सुरक्षाकर्मियों द्वारा अंतरिम सरकार का तख्तापलट करने के प्रयास के चलते इनमें विलंब हुआ।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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