अन्तर्राष्ट्रीय
श्रीलंका में बाढ़ से 80 हजार लोग प्रभावित
कोलंबो। श्रीलंका में आई बाढ़ से कम से कम 80 हजार लोग प्रभावित हुए हैं, जबकि हजारों अन्य को विस्थापित होना पड़ा है। देश के आपदा प्रबंधन केंद्र ने सोमवार को यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, “बचाव दल सबसे बुरी तरह प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने के कार्य में लगे हैं, जहां लोगों ने स्कूलों व गिरजाघरों में अस्थायी तौर पर शरण ले रखी है।”
सात सौ से अधिक सैनिक देश के उत्तरी भाग में राहत व बचाव अभियान में जुटे हैं। श्रीलंका रेड क्रॉस के मुताबिक, देश का उत्तरी भाग भीषण बारिश से सर्वाधिक प्रभावित है। सेना ने कहा कि सैनिक तटीय इलाके के लोगों को बाहर निकालने के काम में जुटे हैं, जहां बाढ़ की स्थिति और बदतर होने की आशंका है, क्योंकि निचले तटीय इलाके और सड़क मार्ग पानी में पूरी तरह डूब चुके हैं।
भीषण बारिश से हालात बिगड़ने पर मदद के लिए नौसेना को भी तैयार रखा गया है। प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए नौसेना ने कमर कस ली है। सैनिक प्रभावित लोगों को आधारभूत सुविधाएं जैसे पीने का पानी, साबुन, चटाई व भोजन प्रदान करने के काम में लगे हैं। इसी बीच, स्थानीय मीडिया ने खबर दी है कि बाढ़ के कारण बीते एक सप्ताह के दौरान किलिनोच्छी शहर में एक व्यक्ति की मौत हो गई है। त्रिंकोमाली शहर में बाढ़ के पानी में फंसे कम से कम पांच लोगों को शनिवार को नौसेना ने बचा लिया।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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