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मुख्य समाचार

अंतिम चरण में 827 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला

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पटना| बिहार में विधानसभा चुनाव के पांचवें और अंतिम चरण के मतदान में गुरुवार को 57 विधानसभा क्षेत्रों के करीब 1़55 करोड़ मतदाता, 58 महिला प्रत्याशियों समेत 827 प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेंगे। बिहार चुनाव के पांचवें चरण में मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा और दरभंगा जिले के मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। आयोग के अनुसार, इस चरण में 1,55,43,594 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिनके लिए 14,709 मतदान केन्द्र बनाए गए हैं।

मतदान को लेकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। राज्य निर्वाचन विभाग के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आऱ लक्ष्मणन ने बताया कि सभी 57 विधानसभा क्षेत्रों में शराब की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। मतदान के दिन क्षेत्र के सभी सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है।

उन्होंने बताया कि भारत-नेपाल सीमा को सील कर दिया गया है तथा चौकसी बढ़ा दी गई है। सभी मतदान केन्द्रों पर केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की तैनाती की गई है। केन्द्रीय सुरक्षा बलों (सीआरपीएफ) तथा राज्य पुलिस की 1,033 कंपनियां नियुक्त की गई हैं। 5,518 संवेदनशील मतदान केन्द्रों पर अतिरिक्त सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं।

मतदान के दिन इन क्षेत्रों में दो हेलीकॉप्टरों तथा तीन ड्रोनों की तैनाती की जाएगी तथा किसी भी दुर्घटना की स्थिति से निपटने के लिए एयर एंबुलेंस को भी तैनात किया जा रहा है। जिन विधानसभा क्षेत्रों में नदियां हैं, वहां 53 मोटरबोट से गश्त कराई जाएगी।

इस चरण में जिन नौ जिलों के 57 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है, उनमें 55 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सुबह सात बजे से शाम पांच बजे शाम तक, जबकि दो विधानसभा क्षेत्र सिमरी बख्तियारपुर और महिषि में अपराह्न् तीन बजे तक मतदान कर सकेंगे।

इस चरण में मतदाता मंत्री विजेन्द्र प्रसाद यादव, नरेन्द्र नारायण यादव, लेसी सिंह, दुलाल चंद्र गोस्वामी, बीमा भारती, नौषाद आलम, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अब्दुल बारी सिद्दीकी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता नीतीश मिश्रा, विनोद नारायण झा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के रामनरेश पांडेय जैसे दिग्गजों के भाग्य का फैसला करेंगे।

इस चुनाव में सत्ताधरी महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अलावा वामपंथी दल एक अलग मोर्चा बनाकर, जबकि समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में जन अधिकार पार्टी समेत कई अन्य राजनीतिक दल एक अलग गठबंधन के तहत ताल ठोक रहे हैं। इस चरण के चुनाव में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी चुनावी मैदान में है।

बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए अब तक चार चरणों का मतदान हो चुका है। पांचवें चरण के मतदान के बाद सभी सीटों की मतगणना आठ नवंबर को होगी।

 

 

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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