प्रादेशिक
बुंदेलखंड में पैर पसार रही ओवैसी की पार्टी
लखनऊ। आंध्र प्रदेश के हैदराबाद से सांसद असादुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) ने बुंदेलखंड में दस्तक दे दी है।
बुंदेलखंड के मुस्लिम वोट बैंक पर नजर गड़ाए पार्टी ने अपनी नीतियों को मुसलमानों तक पहुंचाने के लिए सांगठनिक विस्तार शुरू कर दिया है। फिलहाल बुंदेलखंड के सात में से कुछ जिलों में संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों की नियुक्ति हो चुकी है। इन्हें जल्द ही संगठन का विस्तार कर उसे अस्तित्व में लाने के निर्देश दिए गए हैं।
अपनी बेबाक बयानबाजी और मुस्लिमों का रहनुमा होने का दावा करने वाले ओवैसी ने उत्तर प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र में पंचायत चुनाव के पहले ही अपने संगठन की नींव डाल दी थी। वहां कई जनपदों में मुस्लिम बहुलता के साथ चुनावों में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इसका लाभ लेने के लिए पार्टी ने पूर्वी व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग 28 जनपदों में अपना संगठनात्मक ढांचा तैयार कर दिया है। इसके साथ ही बुंदेलखंड के जनपदों में भी पार्टी अपने पांव लगातार पसार रही है। झांसी जनपद में भी संगठन लगभग तैयार हो चुका है।
गौरतलब है कि पूर्वी व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 28 जनपदों की लगभग 80 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक की भूमिका में है। अभी तक यह वोट पहले कांग्रेस में फिर सपा में फिर बसपा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करता रहा और लगभग सभी पार्टियों पर समाज विरोधी होने का आरोप भी लगाता रहा।
सूत्रों का कहना है कि इस बात का फायदा उठाने के लिए और मुस्लिमों को एक मंच पर लाने के लिए एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओवैसी ने अपना पासा अब यूपी में भी फेंका है। यह पार्टी बिहार के सीमांचल क्षेत्र की 24 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ रही है। हालांकि यह संगठन अभी तक बुंदेलखंड में किसी प्रकार की गतिविधि नहीं दिखा सका है। फिर भी अन्य दलों में इसकी उपस्थिति मात्र से सुगबुगाहट पैदा होना लाजिमी है।
प्रादेशिक
गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक
अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।
इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।
हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।
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