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नीतीश ने पैदा की दाल की किल्लत : सुशील मोदी

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पटना| नवंबर, 2005 से जून, 2013 तक नीतीश कुमार के साथ बिहार के उप मुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जानबूझ कर बिहार में दाल की किल्लत पैदा कर इसे चुनावी मुद्दा बनाने और केंद्र सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता मोदी ने गुरुवार को कहा कि पिछले तीन दिन के अंदर 10 राज्यों में 3,290 स्थानों पर छापामार कर 36 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा दाल जब्त किए गए हैं, लेकिन बिहार सरकार की ओर से कालाबाजारियों और जामाखोरों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

मोदी ने कहा कि 5,000 मीट्रिक टन आयातित दाल के उठाव और वितरण की दिशा में भी बिहार सरकार ने कोई पहल नहीं की और न ही जमाखोरों एवं कालाबाजारियों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई की। यही नहीं, अन्य राज्यों की तरह स्टॉक सीमित करने का भी प्रावधान नहीं किया गया है। भाजपा नेता ने कहा कि दाल की कमी के मद्देनजर जहां दिल्ली में करीब 500 सफल और केंद्रीय भंडारगृह के जरिए 120 रुपये प्रति किलो दाल उपलब्ध कराया गया है, वहीं तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उत्तराखंड में भी जन वितरण प्रणाली की दुकानों के जरिए 130 से 125 रुपये प्रति किलो की दर से उपभोक्ताओं को दाल दी जा रही है।

दिल्ली के खुदरा बाजारों में हालांकि अरहर दाल 200 रुपये प्रति किलो मिल रही है। मोदी ने कहा कि गुजरात सरकार ने व्यावसायिक संगठनों से बातचीत कर 130 रुपये प्रति किलो की दर से दाल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा बिहार सरकार अपनी नाकामियों की आड़ में दाल की किल्लत पैदा कर केंद्र सरकार को बदनाम करना चाहती है। नीतीश कुमार की मंशा दाल की कमी और बढ़ती कीमत को चुनावी मुद्दा बनाने की है, जिससे अपनी विफलताओं और वादों से लोगों का ध्यान भटका सकें।

 

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

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अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

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