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आत्महत्या की कोशिश का मामला झूठा है : इरोम शर्मिला

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नई दिल्ली। नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने यहां मंगलवार को एक अदालत में कहा कि विश्व भर में मीडिया में उनके संघर्ष के चर्चा में आने के कारण उन्हें आत्महत्या की कोशिश के झूठे आरोप में फंसाया गया है। इरोम पर 2006 में आमरण अनशन के जरिए आत्महत्या का प्रयास करने का आरोप लगया गया था।

मणिपुर की नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इरोम ने दंडाधिकारी आकाश जैन की अदालत में कहा, “राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में मेरे संघर्ष की चर्चा हो रही थी, इसलिए पुलिस ने मुझे मेरे मौलिक अधिकारों से वंचित करते हुए जबर्दस्ती दिल्ली के जंतर-मंतर से हटा दिया और मुझे बेबुनियाद आरोप में फंसा दिया।”

इरोम ने कहा कि मणिपुर में सशस्त्र बलों ने हजारों निर्दोषों की हत्या की है और सैंकड़ों महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया है, लेकिन ऐसे किसी भी मामले के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इरोम ने कहा, “मेरी मांग रही है कि सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (एएफएसपीए) को समाप्त किया जाए या इसे मणिपुर से हटाया जाए, क्योंकि इसने मणिपुर के आम नागरिकों के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर दी है।”

एएफएसपीए को समाप्त करने की मांग को लेकर शर्मिला लगभग 15 वर्षो से भूख हड़ताल पर हैं। अदालत ने चार मार्च, 2013 को शर्मिला पर दिल्ली में आत्महत्या का प्रयास करने का आरोप तय किया था। उन्होंने अपना दोष मानने से इंकार कर दिया, जिसके बाद उनके खिलाफ सुनवाई चल रही है। अदालत ने इस मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज करने की काम छह जून को पूरा कर लिया था।

इरोम ने कहा, “यह सही है कि मैं चार अक्टूबर, 2006 को जंतर-मंतर पर अनशन के लिए बैठी, लेकिन मैं 2000 से भूख हड़ताल पर हूं और इसका मेरी सेहत पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा। मैंने कभी भी स्वास्थ्य जांच से इंकार नहीं किया।”

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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