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लाइफ स्टाइल

बच्चों की परवरिश में पैरेंटिंग एप मददगार

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नई दिल्ली| प्रौद्योगिकी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बनने के साथ ही पिछले कुछ वर्षो में बच्चों की परवरिश में भी काफी बदलाव आए हैं। पैरेंटिंग एप माता-पिता को अपने बच्चों की अच्छी तरह और सुरक्षित तरीके से परवरिश में मददगार साबित हो रहे हैं।

जहां तक बच्चों की बात है, तो आज की तारीख में कई स्मार्टफोन एप उपलब्ध हैं, जो माता-पिता के जीवन को सुगम बनाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।

उदाहरण स्वरूप ‘माईसिटी 4 किड्स फैमिली ऑर्गनाइजर’ एप माता-पिता को बच्चों से संबंधित सही गतिविधियों व सामग्री के चुनाव में मदद करता है।

अक्टूबर 2010 में लॉन्च ‘माईसिटी 4 किड्स’ कई मांओं के लिए एक अनिवार्य एप बन गया है।

एप के सह संस्थापक विशाल गुप्ता ने कहा, “माईसिटी 4 किड्स का विचार उस वक्त मेरे दिमाग में आया, जब मेरे बच्चे छह व दो साल के थे। अन्य माता-पिता की तरह हमें भी कुछ उपयुक्त चीजें करने का पता लगाने या किस जगह पर जाएं, जहां बच्चों को कुछ नया सीखने को मिले, इसका पता करने में परेशानी होती थी।”

गुड़गांव में रहने वाले 40 वर्षीय गुप्ता ने कहा, “हम एक ऐसे मोबाइल प्लेटफॉर्म का निर्माण करना पसंद करेंगे, जहां मांओं की एक ही जगह पर बच्चे से संबंधित सारी जरूरतों की पूर्ति हो सके और अन्य माता-पिता के साझा अनुभवों से सीख सकें।”

एप में कई फीचर जैसे फैमिली कैलेंडर, टू-डू लिस्ट्स, अपकमिंग इवेंट्स, किड्स रिसोर्सेज व पैरेंटिंग ब्लॉग हैं।

यह एप एप्पल व एंड्रॉयड दोनों ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।

वर्तमान में एप अहमदाबाद, बेंगलुरू, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता, मुंबई व पुणे के माता-पिता की जरूरतों को पूरा करता है।

जल्द ही इसकी पहुंच कई अन्य शहरों तक हो जाएगी। बीते एक साल में ‘माईसिटी 4 किड्स’ वेबसाइट पर 35 लाख माता-पिताओं के कुल 2 करोड़ हिट्स मिले हैं।

माता-पिता के लिए कई अन्य एप भी हैं।

उदाहरण के लिए ‘फैमिली ट्रैकर’ माता-पिता को उनके बच्चे कहां हैं, इसके बारे में जानकारी देने में मदद करता है।

बच्चों की सुरक्षा को महत्वपूर्ण मानते हुए एक अन्य एप ‘नॉर्थस्टार’ माता-पिता व स्कूल को एक प्लेटफॉर्म प्रदान करता है, जिसका इस्तेमाल स्कूल बसों के लोकेशन का पता करने के लिए किया जा सकता है।

 

योग एवं आयुर्वेद

ये वर्कआउट्स डिप्रेशन से लड़ने में हैं मददगार, मूड को रखते हैं हैप्पी  

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नई दिल्ली। भागमभाग वाली जीवनशैली, काम का बोझ, खानपान व अन्य तनावों के चलते आजकल लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिसके चलते कभी-कभी हादसे भी हो जाते हैं। डिप्रेशन से लड़ने में कई वर्कआउट्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डिप्रेशन में किस तरह के वर्कआउट्स फायदेमंद हैं-

  1. रनिंग

रनिंग करने से बॉडी में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हॉर्मोन्स का सिक्रिशन होता है और कोर्टिसोल का लेवल घटता है जो स्ट्रेस बढ़ाने वाला हॉर्मोन होता है। तनाव की स्थिति में ये हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, तो रनिंग इसे कम करने में प्रभावी है। रनिंग से मसल्स बनने के साथ ही हार्ट व ब्रेन भी हेल्दी रहता है।

  1. वेट लिफ्टिंग

वेट लिफ्टिंग के जरिए भी हल्के-फुल्के तनाव और अवसाद के लक्षणों से निपटा जा सकता है। वेट ट्रेनिंग के दौरान पूरा फोकस हाथों और शरीर पर होता है बाकी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाता। वेट लिफ्टिंग से मसल्स टोन्ड और स्ट्रॉन्ग होती है। ओवरऑल बॉडी फिट नजर आती है।

  1. योगा

बिना दौड़भाग के की जाने वाली बहुत ही बेहतरीन फिजिकल एक्टिविटी है योगा। तरह-तरह के शारीरिक मुद्राएं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शरीर के साथ आपके दिमाग पर भी काम करती हैं। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन का सुझाव एक्सपर्ट्स भी देते हैं। योग के महज 1/2 घंटे के अभ्यास से ही आपको अच्छा फील होगा।

  1. धूप का सेवन

धूप का सेवन तनाव, चिंता और अवसाद को दूर रखने में मददगार होता है। धूप से बॉडी में सेरोटोनिन का प्रोडक्शन होता है जो मूड को हैप्पी रखता है।

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डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सूचना मात्र हैं। अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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