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अन्तर्राष्ट्रीय

भारत और चीन के बीच सैन्य हॉटलाइन जल्द

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बीजिंग | भारत और चीन के सशस्त्र बलों के मुख्यालयों में जल्द ही हॉटलाइन सेवा शुरू की जाएगी। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता यांग युजुन ने यहां इसकी जानकारी दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता यांग ने चीन की यात्रा पर पहुंचे भारतीय संवाददाताओं से मंगलवार को कहा कि दोनों देशों के सशस्त्र बलों के मुख्यालयों में आने वाले दिनों में सीधी टेलीफोन संपर्क सेवा शुरू किए जाने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि आपसी विश्वास को बढ़ाने, एक-दूसरे के बारे में गलत राय बनाने तथा संकट को रोकने के लिए यह कदम आवश्यक है। यांग चीन में जिस पद पर हैं, वह भारत में ब्रिगेडियर-जनरल के पद के समकक्ष है। बाद में अन्य अधिकारियों ने कहा कि एक बार मुख्य हॉटलाइन सेवा शुरू हो जाने के बाद सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भी ऐसी ही सीधी संपर्क सेवा शुरू की जाएगी। चीन की सैन्य रणनीति को लेकर 26 मई को जारी श्वेत-पत्र, जिसमें कहा गया है कि भू-भाग को लेकर विवाद अब भी गहरे हैं, के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दों पर बातचीत विभिन्न चरणों में जारी है।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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