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उत्तर प्रदेश

आजमगढ़ में मनी की बौछार कर रहे पीएमः सीएम योगी

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आजमगढ़/लखनऊ, 10 मार्चः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज से सात साल पहले जो आजमगढ़ अपराध व माफिया गतिविधियों का गढ़ था, आज उसी आजमगढ़ में प्रधानमंत्री ‘मनी की बौछार’ कर रहे हैं। वे यहां हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देने आए हैं। सीएम ने आजमगढ़ को 10 वर्ष के अंदर न केवल सुरक्षा का बेहतर वातावरण देने, बल्कि विकास-आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर व लोककल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए पीएम का आभार भी जताया। सीएम ने विश्वास दिलाया कि 2024 में ‘फिर एक बार-मोदी सरकार’ की आवाज के साथ आजमगढ़, लालगंज व घोसी भी जुड़ेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को आजमगढ़ के मंदुरी एयरपोर्ट परिसर में 34,700 करोड़ रुपये से 782 विकास परियोजनाओं के लोकार्पण-शिलान्यास अवसर पर अपनी बात रख रहे थे।

पूर्वी उप्र की अर्थव्यवस्था को नई पहचान दे रहा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे

सीएम ने कहा कि 22 हजार करोड़ से अधिक की लागत से बना पूर्वांचल एक्सप्रेसवे आजमगढ़ के विकास की धुरी बन चुका है। इसने पूर्वी उप्र की अर्थव्यवस्था को नई पहचान देने का कार्य किया है। आजमगढ़वासी मात्र दो घंटे में लखनऊ पहुंचते हैं। प्रधानमंत्री जी के द्वारा आजमगढ़ के एयरपोर्ट का उद्घाटन होने जा रहा है, इसके साथ ही वायुसेवा भी प्रारंभ हो जाएगी। पीएम के करकमलों से आज उप्र को पांच नए एयरपोर्ट प्राप्त होने जा रहे हैं, डबल इंजन सरकार ने प्रयास किया है कि यहां बेहतरीन सुविधा प्राप्त हो। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि हवाई चप्पल पहनने वाला हवाई जहाज की यात्रा करेगा, आज उप्र व देश के अंदर यह दिख रहा है। जिस यूपी में इससे पहले मात्र दो एयरपोर्ट क्रियाशील थे, आज उसी उप्र में 9 एयरपोर्ट क्रियाशील हैं और पांच नए एयरपोर्ट का आज पीएम शुभारंभ करने जा रहे हैं। सीएम ने कहा कि कई दशकों से मांग थी कि आजमगढ़ का अपना विश्वविद्यालय हो, हजार वर्ष पहले अपने शौर्य व पराक्रम से विदेशी आक्रांताओं की चूलें हिलाने वाले महाराजा सुहेल देव के नाम पर बने विश्वविद्यालय का उद्घाटन भी पीएम के करकमलों से होने जा रहा है।

पहले नाम से लोग भयभीत होते थे, आज विकास के लिए जाना जा रहा आजमगढ़

सीएम ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने आजमगढ़ की कला को नई पहचान देने के लिए हरिहरपुर में संगीत महाविद्यालय के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया है तो आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए स्थानीय उत्पादों को एक जिला, एक उत्पाद के रूप में देश-दुनिया में पहचान दी है। ब्लैक पॉटरी और मुबारकपुर की रेशमी साड़ियों को भी सात वर्ष के अंदर नई पहचान प्राप्त हो रही है। श्रमिकों के बच्चों के लिए अटल आवासीय विद्यालय भी बनकर तैयार हुआ है। पहले आजमगढ़ के नाम पर लोग भयभीत होते थे, वही आजमगढ़ आज कला, शिक्षा-साहित्यकारों व विकास के लिए देश-दुनिया के अंदर पहचान बना रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के योग्य मार्गदर्शन व नेतृत्व के कारण आजमगढ़ को पुरातन पहचान मिली है।

होली के पहले हजारों करोड़ रुपये का उपहार दे रहे पीएम

सीएम ने कहा कि देश नए भारत का दर्शन कर रहा है। प्रदेश के अंदर रेल व राष्ट्रीय राजमार्गों की नई सौगात भी प्राप्त हो रही है। होली के पहले उप्रवासियों को हजारों करोड़ रुपये का उपहार मिल रहा है। सीएम ने कहा कि आजमगढ़ काशी व गोरखपुर के बीच महत्वपूर्ण स्थल के रूप में उभरा है। आजमगढ़ को विकास की महत्वपूर्ण योजनाओं के माध्यम से नई पहचान मिल सके। पिछले 10 वर्ष में पीएम के मार्गदर्शन व प्रदेश में सात वर्षों में डबल इंजन की सरकार के कारण विकास और लोककल्याण की योजनाएं तेजी से बढ़ी हैं।

यूपी के मुखिया ने गिनाई आजमगढ़ के विकास की गाथा

सीएम ने कहा कि डबल इंजन की सरकार बिना भेदभाव शासन की योजनाओं का लाभ हर गांव-गरीब, नौजवान-किसान समेत हर तबके को उपलब्ध करा रही है। डबल इंजन की सरकार पीएम मोदी के नेतृत्व में नौजवानों की आजीविका की चिंता कर रही है तो आस्था को सम्मान भी दे रही है। सुरक्षा का बेहतर वातावरण भी बना रही है तो समृद्धि के मार्ग पर भी आगे बढ़ाने का कार्य कर रही है। आजमगढ़ जनपद में 11.30 लाख आयुष्मान कार्ड, किसान सम्मान निधि में साढ़े सात लाख किसानों को 1940 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। उज्ज्वला योजना में तीन लाख लाभार्थियों को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन मिले। पीएम आवास (ग्रामीण) 1.10 लाख व शहरी क्षेत्र में 17 हजार लाभार्थियों को आजमगढ़ में आवास उपलब्ध कराया गया। जल जीवन मिशन में 4.20 लाख से अधिक घरों को हर घर जल योजना से जोड़ा गया। स्वच्छ भारत मिशन में 5.20 लाख परिवारों को शौचालय प्राप्त हुआ। स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के तहत आजमगढ़ के एक लाख युवाओं को टैबलेट-लैपटॉप देने का कार्य हुआ।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह, प्रदेश सरकार के मंत्री सूर्य प्रताप शाही, एके शर्मा, ओमप्रकाश राजभर, योगेंद्र उपाध्याय, दारा सिंह चौहान, आजमगढ़ के सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ आदि मौजूद रहे।

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उत्तर प्रदेश

हेल्थ सेक्टर में योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि, 35 हेल्थ यूनिट्स को मिला ‘एनक्वास’

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लखनऊ| योगी सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के योगी सरकार के प्रयास का ही नतीजा है कि प्रदेश की 35 और स्वास्थ्य इकाइयों को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्वास) सर्टिफिकेट मिला है। इसके साथ ही प्रदेश में एनक्वास प्रमाणित स्वास्थ्य इकाइयों की संख्या बढ़कर 217 पहुंच गई है। यह प्रमाण पत्र प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों को गुणवत्तापूर्ण इलाज, स्वास्थ्य के मानकों को पूरा करने एवं उस पर खरा उतरने पर मिला है। बता दें कि एनक्वास के तहत स्वास्थ्य इकाइयों की सेवा गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिए किए गए ठोस प्रयासों से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मिशन निदेशक डा. पिंकी जोवल ने हाल ही में प्रदेश के सभी अपर निदेशकों व सीएमओ को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया है कि वर्ष 2025 तक 50 प्रतिशत और वर्ष 2026 तक सभी स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाणित कराने के निर्धारित लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में अपने कार्य को गति दें।

32 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को मिला प्रमाण पत्र

एनएचएम की मिशन निदेशक ने बताया कि सीएम योगी की नीतियों का असर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में दिखने लगा है। इसके तहत प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों में प्रदेशवासियों को सस्ता और गुणवत्तापूर्ण इलाज दिया जा रहा है। यही वजह है कि पिछले पांच माह में 35 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाण पत्र मिला है, जिसमें 32 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। एनएचएम के महाप्रबंधक क्वालिटी एश्योरेंस डॉ. निशांत कुमार जायसवाल ने बताया कि इस वर्ष एनक्वास पाने वाली सीएचसी में वाराणसी की चोलापुर और रामपुर की बिलासपुर सीएचसी शामिल हैं। इसके साथ ही प्रदेश में एनक्वास प्रमाणित स्वास्थ्य इकाइयों की संख्या बढ़कर 217 पहुंच गई है। एनक्वास प्रमाण पत्र के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता मूल्यांकनकर्ता डॉ. मुस्तफा खान ने बताया कि एक बार जब किसी स्वास्थ्य इकाई को एनक्वास प्रमाणपत्र मिल जाता है तो यह निश्चित है कि वहां आने वाले सभी रोगियों के लिए अंतरराष्ट्रीय संचालन प्रक्रिया और मानक उपचार दिशानिर्देशों का पालन होगा। इसका मतलब है कि सभी रोगियों को यह विश्वास हो जाता है कि उनका इलाज उसी प्रक्रिया से किया जा रहा है, जिस प्रक्रिया से अमेरिका या ब्रिटेन में किसी अन्य रोगी का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्र रोगी के अधिकारों, जिम्मेदारी और अस्पताल के कर्मचारियों की संतुष्टि को भी सुनिश्चित करता है।

प्रदेश में एनक्वास पाने वाली स्वास्थ्य इकाइयों में राजधानी अव्वल

प्रदेश में अब तक कुल 95 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और 122 अन्य स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्राप्त हो चुका है। इनमें लखनऊ में अब तक सबसे अधिक 15 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास मिला है। इस संबंध में बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुणा ने बताया कि एनक्वास मिलने के बाद उनके अस्पताल में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ी हैं। आईसीयू अपडेट हुआ है। अस्पताल का जो स्टाफ एनक्वास पाने की प्रक्रिया में शामिल था, उन सबमें जिम्मेदारी की भावना बढ़ी है। इनमें पहले स्थान पर राजधानी है। राजधानी के सिविल अस्पताल, झलकारी बाई अस्पताल, अवंती बाई अस्पताल, रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल, आरएमएल अस्पताल, बख्शी का तालाब व सरोजनी नगर सीएचसी व पांच आयुष्मान आरोग्य मंदिर को एनक्वास प्रमाण पत्र मिला है। वहीं दूसरे नंबर पर प्रयागराज है, जहां 12 स्वास्थ्य इकाइयों को अब तक एनक्वास मिल चुका है। सिर्फ एक स्वास्थ्य इकाई में एनक्वास पाने वाले जिलों में सीतापुर, हरदोई, बरेली, मुरादाबाद, औरेया, बागपत, बहराइच, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, सिद्धार्थनगर, बुलंदशहर शामिल हैं।

इन मानकों पर खरा उतरने पर मिलता है एनक्वास

एनक्वास, भारत सरकार की संस्था ‘नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर” द्वारा दिया जाने वाला राष्ट्रीय प्रमाणपत्र है जो स्वास्थ्य इकाइयों को विभिन्न मानकों पर परखने और मानक पूरा होने पर प्राप्त होता है। एनक्वास न सिर्फ जिला अस्पताल, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व आयुष्मान आरोग्य मंदिर को मिल सकता है। इसके तहत सरकारी अस्पतालों के मुख्य आठ विभागों की सेवाएं को मापदंड पर परखा जाता है। इन विभागों में अंत: रोगी विभाग, रेडियोलॉजी विभाग, प्रसूति वार्ड, ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर, प्रयोगशाला, फार्मेसी, प्रशासनिक विभाग, सेवा विभाग का कामकाज देखा जाता है। इनके अलावा बायोमैट्रिक हाजिरी, ई-उपचार, मरीजों को मिलने वाला भोजन भी टीम परखती है। साथ ही सेवा प्रदाताओं के व्यवहार का भी आकलन किया जाता है।

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