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उत्तर प्रदेश

बीज एवं जिप्सम क्रय करते समय ही किसानों को मिलेगी सब्सिडी एट सोर्स

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लखनऊ। अन्नदाता किसानों को कृषि निवेशों (बीज एवं जिप्सम) की खरीदारी के वक्त तत्काल सब्सिडी प्रदान करने के लिए योगी सरकार ने एक नई और क्रांतिकारी पहल की है। इसके तहत कृषि विभाग ने बुधवार को कृषि निवेशों को पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन के माध्यम से वितरित कराकर सब्सिडी एट सोर्स की व्यवस्था को लागू कर दिया है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बटन दबाकर इस नई व्यवस्था का शुभारंभ किया। इस नई सुविधा से अब कृषि विभाग के दर्शन पोर्टल पर पंजीकृत अन्नदाता किसानों को राजकीय कृषि बीज भंडार से बीज एवं जिप्सम क्रय करते समय ही अनुदान एट सोर्स प्रदान कर दिया जाएगा। इससे किसानों को केवल कृषक अंश का ही भुगतान करना होगा। इस अवसर पर लाभार्थी किसानों को कृषि मंत्री ने पीओएस मशीन के द्वारा सब्सिडी एट सोर्स भी प्रदान की।

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग अब पूरी तरह से डिजिटल

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बदलते भारत की एक तस्वीर रखी है। पीएम बनने का बाद ही उन्होंने कहा था कि भारत को हमें डिजिटल इंडिया बनाना है। भारत सरकार ने बीते 10 वर्ष में 23 लाख करोड़ रुपए लाभार्थियों को प्रदान किए हैं। उनके इसी विजन को सीएम योगी ने तेज गति से प्रदेश में इसका विस्तार किया है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग आज पूरी तरह से डिजिटल डिपार्टमेंट हो गया है। जब किसान भाइयों की गोष्ठियों में जाता था तब किसान भाइयों का सुझाव मिलता था कि बीज हम पूरा पैसा देकर खरीदते हैं, लेकिन अनुदान आने में 4-5 महीने की देरी हो जाती है। हम 2-3 साल से प्रयासरत थे कि ऐसी व्यवस्था बना दें ताकि किसान को अनुदान की राशि छोड़कर जितना कृषक अंश बनता है वही देना पड़े। ये नई व्यवस्था आज शुरू हो गई है। दर्शन पोर्टल पर कुल 3 करोड़ 20 लाख किसान भाई हैं, जिनमें 2 करोड़ 22 लाख किसान भाई ऐसे हैं जो आधार कार्ड से जुड़े हुए हैं। इन्हें इसका सीधा लाभ मिलेगा। जैसा इस योजना के पहले लाभार्थी रामसजीवन को मिला है। उन्हें बीच के क्रय पर 251 रुपए की सब्सिडी का लाभ मिला। प्रदेश में लगभग 8 लाख किसान ब्लॉक पर बीज वितरण केंद्र से बीज लेते हैं। अब इन केंद्रों पर बीज खरीद पर किसानों को आधा पैसा ही देना होगा। वहीं जिप्सम में हम 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। यह सुविधा सभी 75 जिलों के 826 विकासखंडों में प्राप्त होगी।

पारदर्शिता के साथ हर किसान तक पहुंच रहा योजना का लाभ

इस अवसर पर कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने कहा कि आज कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए क्रांतिकारी योजना लागू हो रही है। सरकार की प्राथमिकता है कि सभी योजनाओं का लाभ पारदर्शिता के साथ हर किसान तक पहुंचे। ये उसी का परिणाम है। सीएम योगी के नेतृत्व में 2017 के बाद से लगातार इस पर कार्य किया जा रहा है। हमारा प्रयास यही है कि सभी किसानों को उनकी मेहनत का फल और उनका हक दिलाया जाए। वहीं, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कृषि विभाग को इस शानदार पहल के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह बहुत खुशी की बात है कि कृषि विभाग ने ऐसा कदम उठाया है, जिससे सीधे लाखों किसानों को फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि किसानों के हितों को लेकर मुख्यमंत्री जी की सोच को धरती पर लाने का कदम उठाया जा रहा है। अब हमारे किसान भाइयों को जो सब्सिडी केंद्र और राज्य सरकार से दी जाती है वो तत्काल प्राप्त हो सकेगी। ये उत्तर प्रदेश में ईज ऑफ लिविंग को दर्शाता है।

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उत्तर प्रदेश

हेल्थ सेक्टर में योगी सरकार की बड़ी उपलब्धि, 35 हेल्थ यूनिट्स को मिला ‘एनक्वास’

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लखनऊ| योगी सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के योगी सरकार के प्रयास का ही नतीजा है कि प्रदेश की 35 और स्वास्थ्य इकाइयों को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (एनक्वास) सर्टिफिकेट मिला है। इसके साथ ही प्रदेश में एनक्वास प्रमाणित स्वास्थ्य इकाइयों की संख्या बढ़कर 217 पहुंच गई है। यह प्रमाण पत्र प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों को गुणवत्तापूर्ण इलाज, स्वास्थ्य के मानकों को पूरा करने एवं उस पर खरा उतरने पर मिला है। बता दें कि एनक्वास के तहत स्वास्थ्य इकाइयों की सेवा गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिए किए गए ठोस प्रयासों से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मिशन निदेशक डा. पिंकी जोवल ने हाल ही में प्रदेश के सभी अपर निदेशकों व सीएमओ को पत्र के माध्यम से निर्देशित किया है कि वर्ष 2025 तक 50 प्रतिशत और वर्ष 2026 तक सभी स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाणित कराने के निर्धारित लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इस क्षेत्र में अपने कार्य को गति दें।

32 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और 3 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को मिला प्रमाण पत्र

एनएचएम की मिशन निदेशक ने बताया कि सीएम योगी की नीतियों का असर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में दिखने लगा है। इसके तहत प्रदेश की स्वास्थ्य इकाइयों में प्रदेशवासियों को सस्ता और गुणवत्तापूर्ण इलाज दिया जा रहा है। यही वजह है कि पिछले पांच माह में 35 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्रमाण पत्र मिला है, जिसमें 32 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। एनएचएम के महाप्रबंधक क्वालिटी एश्योरेंस डॉ. निशांत कुमार जायसवाल ने बताया कि इस वर्ष एनक्वास पाने वाली सीएचसी में वाराणसी की चोलापुर और रामपुर की बिलासपुर सीएचसी शामिल हैं। इसके साथ ही प्रदेश में एनक्वास प्रमाणित स्वास्थ्य इकाइयों की संख्या बढ़कर 217 पहुंच गई है। एनक्वास प्रमाण पत्र के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता मूल्यांकनकर्ता डॉ. मुस्तफा खान ने बताया कि एक बार जब किसी स्वास्थ्य इकाई को एनक्वास प्रमाणपत्र मिल जाता है तो यह निश्चित है कि वहां आने वाले सभी रोगियों के लिए अंतरराष्ट्रीय संचालन प्रक्रिया और मानक उपचार दिशानिर्देशों का पालन होगा। इसका मतलब है कि सभी रोगियों को यह विश्वास हो जाता है कि उनका इलाज उसी प्रक्रिया से किया जा रहा है, जिस प्रक्रिया से अमेरिका या ब्रिटेन में किसी अन्य रोगी का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रमाणपत्र रोगी के अधिकारों, जिम्मेदारी और अस्पताल के कर्मचारियों की संतुष्टि को भी सुनिश्चित करता है।

प्रदेश में एनक्वास पाने वाली स्वास्थ्य इकाइयों में राजधानी अव्वल

प्रदेश में अब तक कुल 95 आयुष्मान आरोग्य मंदिर और 122 अन्य स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास प्राप्त हो चुका है। इनमें लखनऊ में अब तक सबसे अधिक 15 स्वास्थ्य इकाइयों को एनक्वास मिला है। इस संबंध में बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ. पवन कुमार अरुणा ने बताया कि एनक्वास मिलने के बाद उनके अस्पताल में मरीजों के लिए सुविधाएं बढ़ी हैं। आईसीयू अपडेट हुआ है। अस्पताल का जो स्टाफ एनक्वास पाने की प्रक्रिया में शामिल था, उन सबमें जिम्मेदारी की भावना बढ़ी है। इनमें पहले स्थान पर राजधानी है। राजधानी के सिविल अस्पताल, झलकारी बाई अस्पताल, अवंती बाई अस्पताल, रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल, आरएमएल अस्पताल, बख्शी का तालाब व सरोजनी नगर सीएचसी व पांच आयुष्मान आरोग्य मंदिर को एनक्वास प्रमाण पत्र मिला है। वहीं दूसरे नंबर पर प्रयागराज है, जहां 12 स्वास्थ्य इकाइयों को अब तक एनक्वास मिल चुका है। सिर्फ एक स्वास्थ्य इकाई में एनक्वास पाने वाले जिलों में सीतापुर, हरदोई, बरेली, मुरादाबाद, औरेया, बागपत, बहराइच, मैनपुरी, मथुरा, मऊ, सिद्धार्थनगर, बुलंदशहर शामिल हैं।

इन मानकों पर खरा उतरने पर मिलता है एनक्वास

एनक्वास, भारत सरकार की संस्था ‘नेशनल हेल्थ सिस्टम रिसोर्स सेंटर” द्वारा दिया जाने वाला राष्ट्रीय प्रमाणपत्र है जो स्वास्थ्य इकाइयों को विभिन्न मानकों पर परखने और मानक पूरा होने पर प्राप्त होता है। एनक्वास न सिर्फ जिला अस्पताल, बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व आयुष्मान आरोग्य मंदिर को मिल सकता है। इसके तहत सरकारी अस्पतालों के मुख्य आठ विभागों की सेवाएं को मापदंड पर परखा जाता है। इन विभागों में अंत: रोगी विभाग, रेडियोलॉजी विभाग, प्रसूति वार्ड, ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर, प्रयोगशाला, फार्मेसी, प्रशासनिक विभाग, सेवा विभाग का कामकाज देखा जाता है। इनके अलावा बायोमैट्रिक हाजिरी, ई-उपचार, मरीजों को मिलने वाला भोजन भी टीम परखती है। साथ ही सेवा प्रदाताओं के व्यवहार का भी आकलन किया जाता है।

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