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आध्यात्म

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से भारत में सनातन संस्कृति की परंपराओं के लौटाने का दौर शुरू: कांची शंकराचार्य

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Shankaracharya of Kanchi Jagadguru Swami Vijayendra Saraswati

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नई दिल्ली। धर्म और संस्कृति से बढ़ती दूरी के बीच अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा ने भारतीय राष्ट्र राज्य की सनातन परंपराओं के प्रतिष्ठा लौटाने के दौर की शुरूआत की है। कांची के शंकराचार्य जगदगुरू स्वामी विजयेंद्र सरस्वती ने यह विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इतना ही नहीं अयोध्या का अविस्मरणीय समारोह भारतीयों को अपनी संस्कृति और धर्म से जोड़ने में पथ-प्रदर्शक बनेगा। साथ ही सनातन हिंदू संस्कृति की परंपरागत पद्धतियों और जीवनशैली के लिए उत्साह की नई तरेंगे साबित होगा।

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह विशेष पुनर्वसु नक्षत्र में आयोजित किए जाने को अदभुत संयाेग बताते हुए कांची शंकराचार्य ने कहा कि भगवान राम का नक्षत्र भी पुनर्वसु है और यह दैवीय संयोग है कि रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा इसी नक्षत्र के दौरान हुई। रामजन्मभूमि न्यास तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि के अमृत महोत्सव के लिए पुणे में आयोजित संस्कृति महोत्सव के दौरान स्वामी विजयेंद्र स्वामी ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि अयोध्या के नए मंदिर में केवल बाल राम विग्रह की प्रतिष्ठा संपन्न नहीं हुई है बल्कि इसके साथ-साथ धर्म और भारत की प्रतिष्ठा का नया दौर भी शुरू हुआ है। मालूम हो कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शंकराचार्यों के नहीं जाने को लेकर उठाए गए विवाद को विजयेंद्र स्वामी ने कांची से अयोध्या पहुंचकर विराम लगा दिया था।

जैसा कि उन्होंने कहा भी कि विजयादशमी के बाद एकादशी को रामलला का दर्शन करने अयोध्या गए तो प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पूर्व 21 जनवरी को यज्ञशाला में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा विधि की पूजा के लिए अयोध्या गए तो उस दिन भी एकादशी था। स्वामी विजयेंद्र के अयोध्या पहुंचने के बाद ही राम जन्म भूमि न्यास तीर्थ क्षेत्र ने इसका खुलासा किया कि प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम कांची शंकराचार्य के मार्गदर्शन में ही तय हुआ था।

विजयेंद्र स्वामी ने कहा कि हम इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बड़े हो रहे, अर्थशास्त्र में बड़े होते हैं और नए विज्ञान के क्षेत्र में भी हम बड़े होंगे। मगर अब समय आ गया है कि भारत की दैवीय संपदा हमको दुबारा मिलना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि आधुनिक प्रगति के इन मानकों के साथ-साथ हम अपने शास्त्रीय भारतीय परंपरा, मर्यादा, उपासना और आतिथ्य की पद्धति को भी संरक्षित रखें।

उन्होंने इस पर चिंता जताई कि आज हम संस्कृति की इन पद्धतियों से अलग हो रहे हैं। कांची पीठाधीश्वर ने कहा कि हिन्दू धर्म को हम जीवन पद्धति मानते हैं और इसीलिए हमें संस्कृति के करीब जाकर हमें अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को वापस पाने का प्रयत्न करना चाहिए।

आध्यात्म

नौकरी में चाहिए प्रमोशन तो अपनाएं ज्योतिष के ये उपाय

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नई दिल्ली। अगर आप पिछले काफी समय नौकरी कर रहे हैं और आपका प्रमोशन नहीं हो रहा है। या फिर आपकी बॉस से नहीं बन रही है तो ये कुछ सरल उपाय करके आप सफलता पा सकते हैं।

. शनिवार की सुबह जल्दी उठें और नित्य कर्मों से निवृत्त होकर घर में किसी पवित्र स्थान पर पूजन का विशेष प्रबंध करें या किसी मंदिर में जाएं। शनिवार शनि की पूजा का विशेष दिन माना जाता है। शनि हमारे कर्मों का फल देने वाले देवता हैं। अत: इसी दिन शनि देव का विधिवत पूजन करनी चाहिए।

. तरक्की के लिए सूर्य देवता को मनाना काफी शुभ बताया जाता है। जो लोग आसानी से तरक्की करते हैं उनका सूर्य काफी मजबूत होता है। प्रतिदिन सुबह सूर्य को पानी अर्पित करें और सूर्य नमस्कार करें। सूर्य देवता को जल अर्पित करने वाला बर्तन तांबे का हो और उसमें थोड़ा गंगाजल डालें। जल अर्पित करने के बाद सूर्य देवता से अपनी इच्छा रोज जाहिर किया करें।

. यदि नौकरी-पेशा करने वाले जातकों को प्रमोशन नहीं मिल रहा है अथवा उनकी तनख्वाह में वृद्धि नहीं हो रही है तो उन्हें मंगलवार के दिन हनुमान जी की आराधना करना चाहिए।

. प्रतिदिन पक्षियों को मिश्रित अनाज खिलाना चाहिए। सात प्रकार के अनाजों को एकसाथ मिलाकर पक्षियों को खिलाएं। इसमें गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, चावल, दालें शामिल की जा सकती हैं। प्रतिदिन सुबह यह उपाय करें, जल्दी ही नौकरी से जुड़ी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी।

. रात को सोते समय एक तांबे के बर्तन में पान भरकर अपने बिस्तर के नीचे रखें और सुबह उठते ही, बिना किसी को बोले, यह जल घर के बाहर फेंक दें।

. भगवान विष्णु की आराधना करने से भक्तों की मन की मुराद पूरी होती है इसलिए नौकरी में प्रमोशन पाने के इच्छुक जातकों को भगवान विष्णु जी की आराधना करनी चाहिए।

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