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प्रादेशिक

उत्पादकता के गैप में संभावना तलाशेगी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर योगी सरकार ने प्रमुख फसलों (चावल, गेहूं, तिलहन एवं दलहन) के तीन-तीन सर्वाधिक एवं न्यूनतम उत्पादकता वाले जिलों की पहचान की है। सर्वाधिक और न्यूनतम जिलों के उत्पादन के इस अंतर में सरकार संभावनाओं की तलाश करेगी। इसके लिए संबंधित जिलों के उपनिदेशक कृषि (डीडी) एवं जिला कृषि अधिकारियों (डीएओ) की टीम गठित की गई है। ये अधिकारी उत्पादन में इस अंतर की वजह के बाबत 24 जनवरी तक शासन को अपनी रिपोर्ट सौपेंगे। यह रिपोर्ट निदेशक कृषि के जरिए कृषि मंत्री के समक्ष रखी जाएगी। इस संबंध में पिछले दिनों कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) ने पत्र भी जारी किया था। इसकी प्रतिलिपियां विभाग के अपर मुख्य सचिव, निदेशक कृषि एवं सांख्यिकी एवं संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों को भेजी गई है।

किसानों की आय बढ़ाने में उत्पादकता की भूमिका महत्वपूर्ण

उल्लेखनीय है कि किसानों की आय बढ़ाने में उत्पादकता की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है पर उत्तर प्रदेश में प्रमुख फसलों के अधिकतम एवं न्यूनतम उत्पादन में बहुत अंतर है। खासकर दलहन एवं तिलहन के संदर्भ में तो और भी। जबकि इन दोनों फसलों का रकबा एवं उत्पादन बढ़ाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का खासा जोर है। इसकी वजहें भी हैं। दलहन शाकाहारी लोगों के प्रोटीन का एक मात्र स्रोत होने की वजह से यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। दलहन एवं तिलहन का उत्पादन प्रदेश की खपत का सिर्फ 50 फीसद है। ऐसे में कभी भी कम उत्पादन या आपूर्ति चेन प्रभावित होने से इनके बढ़े दाम मीडिया की सुर्खियां बनते हैं। अधिक्तम एवं न्यूनतम उत्पादन के गैप को कम करने से इस समस्या का काफी हद तक हल निकल सकता है। मसलन हापुण में प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल तिलहन का सर्वाधिक उत्पादन 22.18 कुंतल है। जबकि बांदा में यह महज 3. 44 कुंतल है। इसी तरह रामपुर में प्रति हेक्टेयर दलहन का उत्पादन 23. 22 कुंतल व रायबरेली में सिर्फ 5.56 कुंतल है। चावल एवं गेंहू में भी इसी तरह का अंतर है।

लगातार बढ़ रहा है प्रदेश का खाद्यान्न उत्पादन

उल्लेखनीय है कि प्रदेश का खाद्यान्न उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। मसलन 2016-17 की तुलना में 2020-20221 के दौरान इसमें 11.1फीसद की वृदधि हुई। (558 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 619.47 लाख मीट्रिक टन)। इसी समयावधि में गेहूं का उत्पादन 350 से बढ़कर 374.49 लाख कुन्तल, चावल का उत्पादन 144 से 171, तिलहन 12. 41 से 17.95 लाख कुंतल। दलहन 23.94 से 25.34 लाख कुंतल हुआ। इसकी प्रमुख वजह इन फसलों की प्रति हेक्टेयर प्रति कुंतल बढ़ी उत्पादकता है। इस अवधि में गेहूं 35. 38 से बढ़कर 38.04 कुंतल, चावल 24. 13 से 28.84, तिलहन 24. 14 से बढ़कर 28. 84 कुंतल, दलहन 9. 54 कुंतल से 10. 65 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्रति हो गई।

न्यूनतम उत्पादन वाले जिले भी अगर अधिक्तम नहीं तो औसत उत्पादन के करीब तक पहुँचे तो सभी फसलों के उत्पादन में अभूतपूर्व बृद्धि संभव है। सरकार के स्तर पर चल रही इस कवायद का निहितार्थ भी यही है।

नेशनल

पंजाब में दो मालगाड़ियां आपस में टकराई, दूसरे ट्रैक पर आ रही पैसेंजर ट्रेन को चपेट में लिया, बड़ा हादसा टला

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अमृतसर। पंजाब के सरहिंद में रविवार की सुबह एक बड़ा हादसा हो गया। सरहिंद के माधोपुर के पास सुबह करीब 3:30 बजे दो मालगाड़ियां आपस में टकरा गईं, इनमें से एक का इंजन पलट गया और साइड ट्रैक से गुजर रही पैसेंजर ट्रेन से टकरा गया। इस हादसे में मालगाड़ी के दो लोको पायलट घायल हो गए। उन्हें पटियाला के राजिंदरा अस्पताल में रेफर कर दिया गया।

यह दुर्घटना पिछले साल ओडिशा के बालासोर में हुए हादसे से मिलती जुलती है। उस हादसे में एक दूसरी ट्रेन आकर रेलवे ट्रैक पर पहले से खड़ी ट्रेन से टकरा गई थी। इस टक्कर में पास से गुजर रही एक तीसरी ट्रेन भी इसकी चपेट में आ गई। ओडिशा रेल हादसे में 293 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। श्री फतेहगढ़ साहिब में हुए इस हादसे की रूपरेखा कुछ-वैसी ही है। हालांकि ट्रेनों की गति धीमी होने के कारण बड़ा हादसा होते होते रह गया।

दरअसल मालगाड़ियों के लिए बनाए गए डीएफसीसी ट्रैक पर कोयले से लोडेड 2 मालगाड़ियां खड़ी थीं। इन मालगाड़ियों को रोपड़ की तरफ जाना था। लेकिन रविवार की सुबह अचानक मालगाड़ी का इंजन खुलकर दूसरी गाड़ी से टकरा गया। इंजन पलटकर अंबाला से जम्मू तवी की ओर जा रही पैसेंजर गाड़ी में फंस गया. जिससे पैसेंजर गाड़ी समर स्पेशल को भी नुकसान पहुंचा। हादसे के बाद समर स्पेशल गाड़ी को दूसरा इंजन लगाकर राजपुरा भेजा गया। वहीं अब ट्रैक को ठीक करने का काम जारी है। रेलवे के कर्मचारी मौके पर ट्रैक को ठीक करने में जुटे हुए हैं।

हादसे का शिकार हुए दोनों लोको पायलट उतरप्रदेश के सहारनपुर जिले के रहने वाले हैं। उनकी पहचान विकास कुमार और हिमांशु कुमार के रुप में हुई है। इंजन के शीशे तोड़कर दोनों लोको पायलट को बाहर निकाला गया। जिसके बाद उन्हें एंबुलेंस की मदद से सिविल अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उनकी गंभीर हालत को देखते हुए पटियाला के राजिंद्रा अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। ई है.

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