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अन्तर्राष्ट्रीय

संयुक्त राष्ट्र का काले धन पर कार्रवाई का आह्वान

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संयुक्त राष्ट्र| संयुक्त राष्ट्र के कानून अधिकारियों की एक प्रमुख बैठक में विदेशों में छुपा कर रखे गए काले धन का पता लगाने और उसे बरामद करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत कदम उठाने का आह्वान किया है।

अपराध निवारण एवं अपराध न्याय विषय पर कतर के दोहा में रविवार को संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र के 13वें अधिवेशन में घोषणा की गई कि बेहिसाबी धनराशि और अन्य संपत्तियों का पता लगाने और उसकी वसूली के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने चाहिए। इस धनराशि को जब्त किया जा सकता है।

अधिवेशन में कहा गया कि काले धन को घरेलू नियमों के अनुसार ही जब्त किया जा सकता है।

सप्ताह भर तक चले इस अधिवेशन में पारित किए गए इन प्रस्तावों को ‘दोहा घोषणापत्र’ नाम से एक दस्तावेज के रूप में रखा गया है।

इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून, भारतीय कानून मंत्री डी.वी.सदानंद गौड़ा और विश्व भर के शीर्ष वैधानिक और कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

इस घोषणा पत्र के मुताबिक, “सभी तरह के गैरकानूनी वित्तीय आवागमन से निपटने के लिए रणनीतियां बनाई जानी चाहिए और आर्थिक और वित्तीय अपराधों का मुकाबला करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए, जिसमें धोखाधड़ी, कर और कॉर्पोरेट अपराध भी शामिल हो।”

विदेशों में जमा काले धन के मुद्दे पर कार्रवाई का यह अंतर्राष्ट्रीय आह्वान ऐसे समय में किया गया है, जब इसके पहले भारत ने इस मुद्दे पर अभियान शुरू किया। लेकिन सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पिछले वर्ष आम चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई का वादा किया था, लेकिन अभी तक वह वादा पूरा नहीं कर पाई है।

सरकार के समक्ष मुख्य समस्याओं में विदेशों में जमा काले धन को लाने के रास्ते में रोड़ा बन रहीं कानूनी प्रक्रियाएं हैं।

गौड़ा ने सम्मेलन में काले धन पर प्रस्तावित कदमों का स्वागत करते हुए कहा, “मैं खुश हूं कि इस अधिवेशन में विदेशों में जमा बेहिसाबी काले धन, मनी लॉडरिंग जैसे पेंचीदे मुद्दों पर प्रभावी रूप से निपटने के लिए व्यापक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की जरूरत का समर्थन किया गया है।

दोहा घोषणापत्र आतंकवाद और भारत में व्यापक हित के अन्य मुद्दों से भी निपटेगा।

इसमें कहा गया है कि सभी देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति जो आतंकवादी क्रियाकलापों में वित्तीय मदद, साजिश रचने या तैयारियों में हिस्सा लेता है या आतंकवादी गतिविधियों को समहयोग करता है। उसे इसके दायरे में लाया जाएगा।

अन्तर्राष्ट्रीय

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का बयान, ‘पाकिस्तान के इस सैन्य तानाशाह को कब्र से निकालकर फांसी पर लटकाना चाहिए’

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने नेशनल असेंबली में एक बहस के दौरान कहा कि संविधान को निरस्त करने के लिए अयूब खान के शव को कब्र से निकालकर उसको फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयूब खान ने संविधान को रद्द करने का जो काम किया था, उसके लिए उनको कभी माफ नहीं किया जा सकता है। आसिफ ने ये कमेंट असेंबली में विपक्ष के नेता और अयूब खान के पोते उमर अयूब खान से बहस के दौरान किया। उमर ने सेना की पिछले सप्ताह की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर सवाल उठाते हुए फौज के राजनीति में हस्तक्षेप पर एतराज जताया था। इसके बाद जवाब में ख्वाजा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

इससे पहले उमर अयूब खान ने कहा कि संविधान के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां राजनीति में शामिल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि सैन्य अधिकारियों की शपथ उन्हें राजनीति में हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देती। उन्होंने कहा ‘‘सुरक्षा संस्थानों को संविधान के अनुसार, राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। यह संवाददाता सम्मेलन नहीं होना चाहिए था।’’ उन्होंने अनुच्छेद छह का हवाला देते हुआ कहा कि संविधान को निरस्त करना दंडनीय देशद्रोह है जिसके लिए मौत की सजा तय है। उन्होंने आग्रह किया कि सभी संस्थानों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।

रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा कि अयूब खान संविधान का उल्लंघन करने वाले पहले व्यक्ति थे और उन्हें अनुच्छेद छह का सामना करने वाला भी पहला व्यक्ति होना चाहिए। रक्षा मंत्री आसिफ ने कहा, “देश में पहला मार्शल लॉ लागू करने वाले झूठे फील्ड मार्शल अयूब खान के शरीर को भी (अनुच्छेद 6 के अनुसार) खोदकर निकाला जाना चाहिए और फांसी दी जानी चाहिए।”

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