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शिवसेना के नाम व चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर चुनाव आयोग ने लगाई रोक
नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुटों को अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। मूल शिवसेना का चुनाव चिह्न धनुष बाण है, जिस पर दोनों गुट दावा कर रहे हैं।
आयोग ने एक अंतरिम आदेश में संगठन पर नियंत्रण के लिए दावा कर रहे दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों से अपने-अपने गुट के लिए सोमवार यानी 10 अक्टूबर तक तीन-तीन नामों के विकल्प और साथ ही नए चुनाव चिह्न का सुझाव देने के लिए कहा है।
प्रस्तुत विकल्पों में से आयोग दोनों गुटों को नाम और चिह्न आवंटित कर सकता है। अब सवाल यह है कि एकनाथ शिंदे और ठाकरे गुट कौन सा नया चिन्ह चुनेगा। शिंदे गुट की दशहरा रैली में स्टेज पर तलवार रखी गई थी। तलवार पूजा से ही रैली शुरू हुई थी।
शिवसेना विधायक ने सीएम शिंदे को 12 फुट की चांदी की तलवार भेंट भी की थी। अगर सांकेतिक रूप से यह मानें कि शिंदे गुट तलवार चिन्ह लेने की कोशिश करेगा तो जवाब यह है कि चुनाव आयोग की लिस्ट में जितने चुनाव चिन्ह हैं, उनमें तलवार नहीं है।
अब उद्धव ठाकरे गुट की बात करें तो उद्धव के करीबी मिलिंद नार्वेकर ने आज एक ट्वीट किया, जिसमें एक बाघ का फोटो डालकर कैप्शन में लिखा है- आमचं चिन्ह- श्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे। यहां भी सवाल जस का तस बना हुआ है कि चुनाव आयोग जिन तीन चुनाव चिन्हों में से एक विकल्प को चुनने का विकल्प देगा, उस लिस्ट में बाघ का चुनाव चिन्ह भी नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि दोनों पार्टियां कौन सा चुनाव चिन्ह लेना चाहेगी?
चुनाव आयोग के सामने फिर खड़ी होगी समस्या
पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह दोनों का ही इस्तेमाल अब न शिंदे गुट कर पाएगा और न ही ठाकरे गुट। इस पर आज शरद पवार ने कहा है कि जब कांग्रेस टूटी थी तो इंदिरा गांधी वाले गुट ने ‘कांग्रेस इंदिरा’ नाम को चुना था। इसी तरह ‘शिवसेना बालासाहेब ठाकरे’ नाम एक ऑप्शन हो सकता है।
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यहां भी पेंच यह है कि दोनों ही गुट यह नाम लेना चाह रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग के सामने फिर एक जटिल सवाल खड़ा हो जाएगा। ऐसे में हो सकता है चुनाव आयोग ऐसे नामों का कोई सुझाव दे- शिवसेना ठाकरे, शिवसेना शिंदे लेकिन शिंदे गुट शिवसेना बालासाहेब ठाकरे नाम पर से अपना दावा हटाकर शिवसेना शिंदे नाम पर सहमत हो जाए, इसकी संभावना कम है। ऐसे में मुश्किलें अभी और भी भारी-भरकम हैं।
दोनों गुटों के नेताओं की बैठक
चुनाव आयोग के शिवसेना के सिंबल पर रोक लगाए जाने के बाद दोनों गुटों में हलचल पैदा हो गई है। इसके लेकर रविवार 9 अक्टूबर दोपहर उद्धव ठाकरे अपने नेताओं के साथ मातोश्री में बैठक करेंगे। वहीं एकनाथ शिंदे अपने गुट के मंत्री और सांसदों के साथ वर्षा बंगलो पर शाम 7 बजे बैठक करेंगे। बताया जा रहा है कि दोनों गुटों में आगे की रणनीति तैयार करने के साथ ही नए नाम और सिंबल को लेकर भी चर्चा की जाएगी।
क्या था पूरा विवाद
बता दें कि एकनाथ शिंदे ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करने के लिए ठाकरे के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया था। शिवसेना के 55 में से 40 से अधिक विधायकों ने शिंदे का समर्थन किया था, जिसके कारण ठाकरे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
शिंदे ने ठाकरे गुट से अलग होने के बाद बागी विधायकों की मदद से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। इस सरकार में एकनाथ शिंदे को सीएम और देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया था। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भी राजनीतिक गतिरोध खत्म नहीं हुआ था। शिंदे गुट खुद को असली शिवसेना बताता है और पार्टी सिंबल धनुष-तीर पर अपना दावा कर रहा है।
नेशनल
‘जल्द करनी पड़ेगी शादी’, राहुल गांधी ने मंच से किया एलान
रायबरेली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी चुनाव प्रचार के लिए आज रायबरेली पहुंचे। जहां उन्होंने जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान राहुल गांधी से जनता में से किसी ने शादी को लेकर सवाल पूछा जिस पर राहुल गांधी ने कहा कि मेरी बहन प्रियंका गांधी मेरी मदद के लिए यहां अपना खून पसीना आपको दे रही है। जिस पर प्रियंका गांधी ने राहुल गांधी से शादी के सवाल की तरफ इशारा करते हुए कहा कि पहले इस सवाल का जवाब दो। जिसके जवाब में मुस्कुराते हुए राहुल गांधी ने कहा कि अब जल्द ही करनी पड़ेगी।
इस दौरान राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित बताया कि किस वजह से वो रायबरेली से चुनाव लड़ने आएं हैं। उन्होंने कहा, ‘कुछ दिन पहले मैं मां (सोनिया गांधी) के साथ बैठा था। मैंने मां से कहा कि एक-दो साल पहले मैंने एक वीडियो में कह दिया कि मेरी दो माता थी एक सोनिया गांधी और दूसरी इंदिरा गांधी। मेरी दोनों माताओं की ये कर्म भूमि है इसलिए मैं यहां रायबरेली से चुनाव लड़ने आया हूं।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि कांग्रेस की सरकार आते ही कर्जा माफ करना पहला काम होगा। दूसरा काम किसानो के लिए कानूनी सपोर्ट प्राइस लेके आयंगे। राहुल गांधी ने तीसरा काम गिनाते हुए कहा कि किसानो को 30 दिन के अंदर बीमा का पैसा देना तीसरा काम होगा।
राहुल गांधी ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी के नेताओं ने साफ कहा की अगर चुनाव जीते तो संविधान को बदल देंगे। संविधान के बिना अडानी और अंबानी की सरकार होगी। आरक्षण और आपको जो भी चीजे मिलती है वो सब खत्म हो जाएंगी। राहुल गांधी ने आगे कहा कि संविधान खत्म होने से आपका रास्ता खत्म हो जाएगा. ये लड़ाई संविधान को बचाने की है।
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