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प्रादेशिक

योगी सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को दी बड़ी राहत, संगठित-असंगठित क्षेत्रों में दिया जा रहा है रोजगार

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लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रमिकों के कल्याण एवं सामाजिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं। प्रदेश में कुशल एवं अकुशल श्रमिकों का चिन्हांकन एवं पंजीकरण कराते हुए उन्हें संगठित व असंगठित क्षेत्रों में रोजगार दिलाया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को बहुत बड़ी राहत दी है।

उन्हें खाद्यान्न नकद धनराशि सहित बाहरी प्रदेशों से लाकर घर-घर तक पहुंचाया गया है। सरकार ने कोविड-19 के दौरान सबसे ज्यादा ध्यान श्रमिकों का दिया है। श्रमिकों को मनरेगा सहित सभी निर्माण कार्यों में लगाकर रोजगार दिया गया है। प्रदेश सरकार ने श्रमिकों के साथ-साथ उनके बच्चों के विकास पर भी विशेष ध्यान दिया है।

मुख्यमंत्री बाल श्रमिक विद्या योजना का आरम्भ 12 जून, 2020 को बाल श्रमिक निषेध दिवस के दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा किया गया था। इस योजना के तहत बच्चों को शिक्षा तथा भोजन दोनों प्रदान किये जाने की व्यवस्था है, जिससे कि उनके भविष्य में सुधार आये।

इस योजना की शुरूआत मुख्यमंत्री जी द्वारा श्रमिक परिवार के बच्चों को अच्छा जीवनस्तर प्रदान करने के लिए की गयी है। इसके अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के अनाथ बच्चों तथा मजदूरों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के तहत राज्य के बालकों को 1000 रूपये प्रतिमाह और बालिकाओं को 1200 रूपये प्रतिमाह मुहैया कराया जा रहा है।

बाल श्रमिक विद्या योजना के अन्तर्गत कामकाजी बच्चों/किशोर- किशोरियों की श्रेणी में 08-18 आयुवर्ग के वह कामकाजी बच्चे किशोर-किशोरी होंगे जो कि संगठित अथवा असंगठित क्षेत्र में कार्य कर अपने परिवार की आय वृद्धि में सहयोग कर रहे है।

इसमें कृषि-गैर कृषि, स्वरोजगार, गृह आधारित प्रतिष्ठान, घरेलू कार्य व किसी भी प्रकार का अन्य श्रम सम्मिलित होता है। उत्तर प्रदेश बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत प्रतिवर्ष 2000 बच्चों को लाभान्वित किया जा रहा है।

राज्य के जो इच्छुक लाभार्थी योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो उन्हें इसके तहत आवेदन करना होता है। यह योजना श्रमिकों के बच्चों को स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने में सक्षम बना रही है। 8 से 18 साल आयु के बच्चों को स्कूल-काॅलेज में होना चाहिए, लेकिन आर्थिक कमजोरी के कारण वह श्रम से जुड़ जाते हैं, ऐसे बच्चों को इस बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत लाभ प्रदान किया जा रहा है।

इस योजना से आच्छादित बालकों को 12000 रूपये व बालिकाओं को 14400 रूपये प्रतिवर्ष दिये जाने का प्राविधान है। जो लाभार्थी कामकाजी बच्चे किशोर योजना के अन्तर्गत कक्षा 8, 9 व 10 तक की शिक्षा प्राप्त करते हैं तो उन्हें कक्षा 8 उत्तीर्ण करने पर 6000 रूपये, कक्षा 9 उत्तीर्ण करने पर 6000 रूपये व कक्षा 10 उत्तीर्ण करने पर 6000 रूपये की अतिरिक्त धनराशि प्रोत्साहन के रूप में देय होगी।

बालश्रम विद्या योजना के अन्तर्गत प्रथम चरण में जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार सर्वाधिक कामकाजी बच्चों की संख्या वाले 20 जिलों को लक्षित किया गया है। पूर्व की व्यवस्था के अनुसार इन 20 जिलों से सम्बंधित 13 मण्डलों (आगरा, प्रयागराज, कानपुर, अयोध्या, गोरखपुर देवीपाठन मण्डल, लखनऊ, मेरठ, बरेली, मुरादाबाद, वाराणसी, आजमगढ़, मिर्जापुर) से आवर्त सभी 57 जिलों को भी लक्ष्यपूर्ति हेतु सम्मिलित किया जाना प्रस्तावित है। प्रतिवर्ष 2000 बच्चों को लाभान्वित कराये जाने का लक्ष्य निर्धारित है।

उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल श्रमिक विद्या योजना के अन्तर्गत बच्चों की पहचान श्रम विभाग के अधिकारियों की ओर से सर्वेक्षण/निरीक्षण में, ग्राम पंचायतों, स्थानीय निकाय, चाइल्ड लाइन अथवा विद्यालय प्रबंध समिति द्वारा किया जाता है। यदि माता-पिता या फिर दोनों किसी लाइलाज रोग से पीड़ित हैं तो उनके बच्चों को चयन की प्राथमिकता दी जायेगी। इस  प्राथमिकता के लिए चीफ मेडिकल अफसर के द्वारा दिया गया एक सर्टिफिकेट देना होगा। भूमिहीन परिवारों और महिला प्रमुख परिवारों के चयन के लिए 2011 की जनगणना की सूची का उपयोग किया जायेगा। प्रत्येक लाभार्थी की चयन के मंजूरी के बाद इसे ई-टैªकिंग सिस्टम पर अपलोड किया जायेगा।

उत्तर प्रदेश बाल श्रमिक विद्या योजना के अन्तर्गत पंजीकरण हेतु दस्तावेजों की आवश्यकता होती है जिनमें आवेदक को उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए। आवेदक की आयु 8-18 वर्ष होनी चाहिए। आवेदक के पास आधार कार्ड, पहचान पत्र, निवास पहचान पत्र होना चाहिए। आवेदक के पास एक मोबाइल नम्बर होना चाहिए साथ ही आवेदक की पासपोर्ट साइज फोटो भी आवश्यक होती है। प्रदेश सरकार ने श्रमिकों के बच्चों के भविष्य को संवारने हेतु कल्याणकारी कदम उठाया है।

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लखनऊ में स्वास्थ्य सेवा निर्माण में एक नई छलांग, अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण निर्माण इकाई की हुई स्थापना

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लखनऊ। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 के तहत, Q-Line Biotech Pvt. Ltd. (POCT Group) ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण निर्माण सुविधा की स्थापना की है। यह पहल Boule Medical AB के साथ रणनीतिक तकनीकी सहयोग के रूप में की जा रही है।

Q-Line Biotech और Boule Medical AB मिलकर उच्च गुणवत्ता वाले चिकित्सा उपकरण, रेजेंट्स और उपभोग्य सामग्रियों का उत्पादन कर रहे हैं। इस सहयोग का उद्देश्य है कि आम जनता को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से सस्ते और सुलभ डायग्नोस्टिक्स मिल सकें। 28 मई 2024 को, Boule Medical AB के वरिष्ठ अधिकारियों, जिनमें CEO एवं ग्रुप प्रेसिडेंट श्री टॉर्बन नीलसन और सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, कमर्शियल ऑपरेशन्स श्री कियाराश फर शामिल थे, ने नई निर्माण इकाई का सत्यापन किया। उनके निरीक्षण ने पुष्टि की कि Q-Line की निर्माण इकाई अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।

नीलसन ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान अपनी संतुष्टि व्यक्त की और भारतीय बाजार, विशेष रूप से हेमेटोलॉजी और संबंधित क्षेत्रों में इस सहयोग की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस सहयोग को भारत में स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ और किफायती बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। Boule Medical AB ने Q-Line के “मेक इन इंडिया” पहल को समर्थन देने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।

यह सहयोग दोनों संगठनों की उत्कृष्टता और उच्च मानकों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह उत्तर प्रदेश सरकार के व्यापक लक्ष्यों के अनुरूप है, जो इन्वेस्टर्स समिट-2023 के माध्यम से राज्य की औद्योगिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। Q-Line Biotech द्वारा 500 करोड़ रुपये के निवेश का संकल्प, जिसमें पहले चरण में 200 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है, इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

लखनऊ में इस नई निर्माण सुविधा की स्थापना से राज्य की आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। रोजगार के अवसर सृजित होंगे और क्षेत्रीय विकास में योगदान मिलेगा। यह पहल भारत के निर्माण क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और Q-Line Biotech Pvt. Ltd. इन महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

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