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नेशनल

Vikas Dubey एनकाउंटर में ढेर, उत्तर प्रदेश एसटीएफ के जवाबी हमले में मौत

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उत्तर प्रदेश एसटीएफ की टीम जिस गाड़ी में  विकास दुबे को कानपुर ला रही थी, उसका एक्सीडेंट हो गया है। शुक्रवार सुबह उज्जैन से कानपुर लाते वक्त हाइवे पर STF के काफिले की एक गाड़ी पलट गई. इस एक्सीडेंट के बाद विकास दुबे हथियार छीनकर भाग रहा था, तभी मुठभेड़ में वो मारा गया।

जिस जगह पर ये एक्सीडेंट हुआ है, वहां मौजूद लोगों ने कहा कि गाड़ी पलटने के बाद उन्होंने गोलियों की आवाज सुनी थी। तुरंत वहां से लोग चले गए।जब गाड़ी पलट गई तो विकास दुबे ने वहां से भागने की कोशिश की।विकास दुबे एसटीएफ के हथियार छीन कर भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन इसी बीच STF और विकास दुबे के बीच मुठभेड़ हुई। जिसमे वो मारा गया।

देखें वीडियो –

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नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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