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अन्तर्राष्ट्रीय

मिसाइल हमले पर धरती करती है प्रतिरोध

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वाशिंगटन | मिसाइल या उल्का के गिरने पर धरती की ऊपरी परत और रेत सख्त हो जाते हैं और इन्हें धरती के अंदर धुसने से रोकने की कोशिश करते हैं। यह जानकारी एक नए अध्ययन से सामने आई है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह बताने की कोशिश की है कि किस तरह जमीन में मिसाइल घुसाने के लिए इसे तेज गति से दागे जाने की कोशिश उतनी कारगर नहीं हो पाती। अध्ययन के एक लेखक और अमेरिका के येल विश्वविद्यालय से जुड़े अबराम क्लार्क ने कहा, “कल्पना करें कि आप भीड़ भरे कमरे की तरफ से गुजरने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप तेजी से गुरजने की कोशिश करेंगे, तब लोग रास्ते से तितर-बितर होने लगेंगे, आपको काफी दबाव लगाना पड़ेगा और गुस्से से भरे लोगों का भी सामना करना होगा।”

यही प्रक्रिया जमीन के अंदर भी होती है, जब धरती पर तेज गति से मिसाइल और उल्का गिरता है। अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में कृत्रिम मृदा और रेत पर तेज गति से होने वाले प्रभाव के तरीके का इजाद किया और इसके बाद मृदा व रेत के अंदर होने वाली हलचल को देखा। उन्होंने पाया कि रेत व मृदा हमले के दौरान सख्त हो गए थे। यह अध्ययन फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।

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गहरी नींद में थे लोग, तभी भूस्खलन से गांव पर आ गिरा पहाड़ का मलबा, 100 से ज्यादा की हुई मौत

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नई दिल्ली। पापुआ न्यू गिनी में शुक्रवार को हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। एबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भूस्खलन की घटना कथित तौर पर दक्षिण प्रशांत द्वीपीय देश की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत के काओकलाम गांव में घटी। यह हादसा स्थानीय समय के अनुसार तड़के 3 बजे करीब हुआ। इलाके के निवासियों का कहना है कि मृतकों की संख्या 100 से अधिक भी हो सकती है।

यह प्राकृतिक आपदा तब हुई, जब पूरा गांव अलसुबह करीब 3 बजे गहरी नींद में था और पहाड़ का मलबा गांव पर आ गिरा।ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (ABC) की रिपोर्ट में जानकारी दी गई है कि शुक्रवार तड़के पापुआ न्यू गिनी के एक सुदूर गांव में हुए भूस्खलन में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह इलाका पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से लगभग 600 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित एंगा प्रांत के काओकालम गांव में हुई है।

स्थानीय लोगों के हवाले से एबीसी ने जानकारी दी है कि इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। हालांकि अधिकारियों ने अभी तक मौत के आधिकारिक आँकड़ों की जानकारी नहीं दी है। सोशल मीडिया पर भी इस खौफनाक हादसे के कई वीडियो सामने आए हैं, जिससे बड़ी-बड़ी चट्टानों, पेड़ों और मलबे के नीचे से ग्रामीणों की लाशों को निकालते हुए दिखाया जा रहा है।

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