अन्तर्राष्ट्रीय
कोरोना को रोकने में सबसे ज्यादा सफल रहा ये देश, अब 7 दिनों के लिए बढ़ाई इमरजेंसी
नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कुछ ही ऐसे देश हैं जो कोरोना पर काबू पाने में कामयबा रहे हैं। इन देशों में न्यूजीलैंड का नाम भी शामिल है।
न्यूजीलैंड में अब तक कोरोना के केवल 1486 मामले ही सामने आए हैं। वहीं, सिर्फ 20 लोगों की ही मौत हुई है। सोमवार को यहां एक भी नया मामला सामने नहीं आया फिर भी एहतिहात के तौर पर न्यूजीलैंड सरकार ने कोरोना पर लगाम लगाए रखने के लिए मंगलवार को आपातकाल की स्थिति को छठी बार, सात दिनों के लिए और बढ़ाने का फैसला किया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पहली इमजेंसी का ऐलान 25 मार्च को किया गया था। इस दौरान यह कहा गया था कि सात दिन की घोषणा को कई बार बढ़ाया जा सकता है। यह कोविड-19 अलर्ट के स्तर को नहीं बदलता है।
नागरिक सुरक्षा मंत्री पीनी हेनरे ने कहा, “नागरिक सुरक्षा आपातकालीन प्रबंधन के निदेशक की सलाह पर और प्रधानमंत्री के परामर्श के बाद, मुझे लगता है कि कोविड-19 को रोकने के लिए के लिए राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति बनी रहनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय आपातकाल के द्वारा सक्रिय की गई शक्तियां इस समय के दौरान सड़क, यातायात और सार्वजनिक स्थानों के प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा, भोजन, आश्रय और आवास जैसे महत्वपूर्ण कार्य करने में सक्षम बनाती हैं।”
“यह देखकर खुशी होती है कि न्यूजीलैंड के ज्यादातर निवासी नियमों का पालन करते हुए सही काम कर रहे हैं। इससे हम फिर से अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ पुनर्निर्माण करना शुरू करते हैं।”
हेनारे ने कहा, “पुलिस स्तर 3 के नियमों को लागू कर रही है, वो विशेष रूप से बड़े पैमाने पर सभाओं के आसपास, और नियम तोड़ने वालों के साथ तेजी से निपट रही है।” मंगलवार तक, न्यूजीलैंड में 20 मौतों के साथ 1,486 कोविड-19 मामले आए हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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