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गणतंत्र दिवस पर मोदी सरकार ने चला ऐसा मास्टर स्ट्रोक, जानकर रह जाएंगे हैरान!

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नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, मशहूर गायक- संगीतकार भूपेन हजारिका और भारतीय जनसंघ के संस्थापक और समाजसेवी नानाजी देशमुख को भारत रत्न देने का फैसला किया है।

इनमें से भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को मरणोपरांत भारत का सबसे उच्चतम सम्मान दिया जाएगा। इन तीन हस्तियों में से दो पूर्वी राज्य से ताल्लुक रखते हैं जिसकी वजह से मोदी सरकार के इस फैसले के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।

राजनीतिक दिग्गज इसे लोकसभा चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं। विशेलेषकों की माने तो इस कदम से मोदी सरकार पूर्वी राज्यों के वोटरों को साधने की कोशिश में हैं।

जहां एक ओर बीजेपी प्रणब मुखर्जी के सहारे पश्चिम बंगाल को साधने की कोशिश में है वहीं असम में भूपेन हजारिका को भारत रत्न देकर अपनी स्थिति ठीक करने की कोशिश में है।

जानकारों के मुताबिक तमाम सर्वे में हिंदी पट्टी में बीजेपी को हो रहे नुकसान की वजह से यह फैसला लिया गया है। आपको बता दें कि ताजा सर्वे में महागठबंधन बीजेपी को भारी नुकसान पहुंचाते हुए दिख रहा है।

सर्वे में बीजेपी बहुमत के आंकड़े से बहुत पीछे दिख रही है वहीं कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने की स्थिति में नजर आ रही है।

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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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