अन्तर्राष्ट्रीय
यमन पर सुरक्षा परिषद की आपात बैठक
संयुक्त राष्ट्र | यमन के मौजूदा संकट पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शनिवार को एक आपात बैठक बुलाई है। संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। संयुक्त राष्ट्र की ओर से एक संदेश में कहा गया है, “सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष सभी सदस्यों को शनिवार, चार अप्रैल को सुबह 11 बजे ‘मध्य पूर्व'(यमन) से जुड़े सभी मुद्दों पर अनौपचारिक विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित करते हैं।’ ”
इससे पहले, परिषद ने 22 मार्च को यमन की संकटपूर्ण स्थिति पर चर्चा के लिए आपात बैठक बुलाई थी। यमन संकट, मिस्र के नेतृत्व में चल रही अरब शिखर वार्ता में भी केंद्र बिंदु बना हुआ है। इस बैठक में यमन के राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी सहित अरब देशों के 20 शाह और राष्ट्रपति शिरकत कर रहे हैं। यमन 2011 से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है, जब सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के कारण पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह को सत्ता छोड़नी पड़ी थी।
तीन साल से जारी सुलह वार्ता संकट के समाधान में असफल रही है और इससे बड़ी सत्ता रिक्कता पैदा हुई। जिसके कारण चरमपंथी समूहों को फायदा हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र में मानवीय मामलों के उपमहासचिव वलेरी अमोस ने गुरुवार एक बयान में कहा था कि यमन में पिछले सप्ताहों में संघर्षो के दौरान 500 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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