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अब ‘सुल्तानपुर’ आया योगी सरकार के निशाने पर, बदला जाएगा नाम?

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लखनऊ। जब से उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आई है तब से कई हैरान कर देने वाले और बड़े फैसले सुनने को मिले हैं। चाहे वो एंटी रोमियो स्क्वाड का गठन हो या मुगलसराय का नाम बदलना। सत्ता में आने से पहले से सभी इस बात से वाकिफ हैं कि योगी सरकार को एक धर्म विशेष से संबंधित नाम वाले शहरों से खासा परहेज़ है। जिसके चलते वो नाम बदलने पर काफी ज़ोर देते रहते हैं।

इसी सिलसिले को आगे बढ़ा रहे हैं योगी सरकार में लंभुआ से विधायक देवमणि द्विवेदी। देवमणि ने कहा कि उन्होंने विधानसभा में एक प्रस्ताव रखा है जिसमें सुल्तानपुर का नाम बदलकर कुशभवनपुर करने की बात कही गई है। कल यानी गुरूवार को सदन ने इस प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए सहमति दे दी थी।”

अब देखने वाली बात होगी कि विधानसभा में इस प्रस्ताव पर क्या चर्चा होती है? क्या तर्क-कुतर्क होते हैं? और आखिर में सुल्तानपुर का नाम बदलता है या नहीं? सुल्तानपुर का नाम बदलकर कुशभवनपुर करने का प्रस्ताव रखा गया है।

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कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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