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राजनीति

लोकसभा में 9 भाजपा सांसद हो गए गायब, ढूंढने पर अब नहीं मिलेंगे, जानिए राज

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भारतीय जनता पार्टी ने 282 सीटों के साथ वर्ष 2014 के आम चुनावों में अपने बूते पूर्ण बहुमत जीता था, लेकिन पिछले चार साल में अब तक हुए उपचुनावों में पार्टी 9 सीट हार चुकी है। गुरुवार को पार्टी दो लोकसभा सीटें हारी जबकि एक पर जीत हासिल की। इस तरह अब कुल मिलाकर पार्टी के पास लोकसभा में 273 की संख्या है।

भाजपा ने लोकसभा सीटों के उप चुनाव में गुरुवार को उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण कैराना सीट और महाराष्ट्र में भंडारा-गोंडिया सीट को खो दिया। पार्टी ने पालघर संसदीय सीट को बरकरार रखा, जबकि इसकी सहयोगी नागालैंड डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) नागालैंड सीट जीतने में सफल रही।

भाजपा ने इससे पहले इस साल उत्तर प्रदेश की प्रतिष्ठित गोरखपुर और फूलपुर संसदीय सीटों और राजस्थान में अजमेर और अलवर संसदीय सीटों को खो दिया।

नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से उपचुनाव में भाजपा चार सीटों पर हारी जो कांग्रेस की झोली में गईं। भाजपा की दो सीटें समाजवादी पार्टी के पास गईं और एक-एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के खाते में गईं।

आरएलडी ने लोकसभा में अपना खाता विपक्षी पार्टियों द्वारा समर्थित अपनी उम्मीदवार तबस्सुम हसन की जीत से खोला जिन्होंने कैराना में भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह को हराया। भाजपा के सांसद हुकम सिंह (मृगांका सिंह के पिता) की मौत के कारण यहां उपचुनाव कराना पड़ा।

भाजपा ने पालघर लोकसभा सीट को बरकरार रखा जहां इसके उम्मीदवार राजेंद्र गावित ने शिवसेना के श्रीनिवास वंगा को हराया। वंगा दिवंगत सांसद चिंतमान वंगा के बेटे हैं। उनकी मौत जनवरी में हुई थी, इसके कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया गया।

नागालैंड की एकमात्र संसदीय सीट पर उपचुनाव सांसद नेफ्यू रियो के राज्य के मुख्यमंत्री बनने के कारण कराया गया। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सांसद सीट से इस्तीफा दे दिया था।

भंडारा-गोंडिया सीट जीतने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ताकत अब लोकसभा में सात हो गई है। भंडारा-गोंडिया सीट पर उपचुनाव भाजपा के सांसद नाना पटोले के इस्तीफे के बाद कराया गया, जो कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। (इनपुट आईएएनएस)

नेशनल

राहुल ने शेयर किया मां के साथ एल्बम देखते हुए वीडियो, कहा- पापा, दादी ने रायबरेली में विकास के बहुत काम किए

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लखनऊ। लोकसभा चुनाव के तहत चार चरणों के मतदान संपन्न हो चुके हैं। अब 20 मई को पांचवें चरण की वोटिंग होगी। इस बीच राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वो अपनी मां सोनिया गांधी के साथ एक एल्बम देख रहे हैं। इसमें दोनों नेता गांधी परिवार की अमेठी और रायबरेली से पुरानी यादों को लेकर बात कर रहे है।

राहुल गांधी ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ”रायबरेली और अमेठी हमारे लिए सिर्फ चुनाव क्षेत्र नहीं, हमारी कर्मभूमि है, जिसका कोना-कोना पीढ़ियों की यादें संजोए हुए है। मां के साथ पुरानी तस्वीरें देखकर पापा और दादी की याद भी आ गई, जिनकी शुरू की गई सेवा की परंपरा मैंने और मां ने आगे बढ़ाई। प्रेम और विश्वास की बुनियाद पर खड़े 100 वर्षों से भी पुराने इस रिश्ते ने हमें सब कुछ दिया है। अमेठी और रायबरेली जब भी हमें पुकारेंगे, हम वहां मिलेंगे।”वीडियो में राहुल गांधी ने अपनी मां सोनिया गांधी से पूछा, “आप रायबरेली पहली बार कब गईं?” जिस पर उन्होंने बताया, “1981-82 में मेडिकल कैंप के लिए जाते थे। दिल्ली के कई बड़े डॉक्टर हमेशा मदद के लिए आते थे।”

आगे राहुल गांधी कहते हैं, “हमारे परिवार का अमेठी और रायबरेली से 100 साल का रिश्ता है।” उन्होंने बताया, “हमारे परदादा ने रायबरेली से राजनीति की शुरुआत की थी। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ रायबरेली से आंदोलन की शुरुआत की थी।”आगे सोनिया गांधी, राहुल को बताती हैं, “परदादा के निधन के बाद दादी (इंदिरा गांधी) ने रायबरेली से चुनाव लड़ा।” इसके बाद राहुल गांधी कहते हैं, “जब मैं अमेठी से सांसद था, रायबरेली से लोग आए थे। आईटीआई के लोग आए थे। जिसे उस वक्त की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार बंद करना चाहती थी।”उन्होंने बताया, “हमारे सामने नौकरी और भविष्य का सवाल है। हमने काफी कोशिश की और उसे बंद करने से बचाया। हम चाहते थे कि रायबरेली का टेक्नोलॉजी स्प्रिट और टेलीकॉम का कनेक्शन का रिश्ता न टूटे।”

सोनिया गांधी बताती हैं, “मैं लोगों से मिलने के लिए गांव-गांव में जाती थी, उनसे बातचीत करती थी। गांव में किसी की शादी या फिर देहांत हो जाता था। तो, उनके परिवार के लोगों से मिलने जाती थी। रायबरेली से मेरा बहू और बेटी जैसा रिश्ता रहा है।”

राहुल गांधी बताते हैं, “उनके पिता राजीव गांधी ने वहां पर बहुत विकास कार्य किए। दादी ने रायबरेली में इतना विकास किया कि अमेठी थोड़ा पीछे रह गया। इसके बाद पापा ने अमेठी में बहुत ज्यादा विकास के कार्य किए। फिर, लगने लगा कि अमेठी विकास कार्य के मामले में रायबरेली से आगे निकल गई। हमारी सरकार में मां सोनिया गांधी और मैंने अमेठी में बहुत विकास के कार्य किए। मेरी ज्यादा से ज्यादा कोशिश रही कि अमेठी में सड़कों का जाल बिछाएं ताकि अमेठी को देश से जोड़ सकें। मैं फूड पार्क के प्रोजेक्ट को लगाना चाहता था, जिससे अमेठी और रायबरेली का चेहरा ही बदल जाता। लेकिन, उस योजना को भाजपा वालों ने रोक दिया।”

राहुल गांधी ने कहा, “जो काम रायबरेली के लिए मां सोनिया गांधी और दादा ने किया, मैं उसको आगे लेकर जाऊं। रायबरेली के लोगों से परिवार, दोस्ती का रिश्ता है। जैसे मेरा मां और बहन के साथ रिश्ता है, वैसे ही रायबरेली के लोगों से है। रायबरेली में जो अरहर की दाल बनती है, वैसे शायद कहीं और नहीं बनती होगी। मेरे लिए अमेठी और रायबरेली एक जैसी है। अमेठी और रायबरेली में हमें सब कुछ दिया। जब भी जरूरत होगी, हम वहां मिलेंगे।”

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