अन्तर्राष्ट्रीय
ये जनजाति मरने के बाद मुर्दे को जलाती नहीं, सिर्फ़ खाल गलने तक भूनती है और फिर..
नई दिल्ली। देश-विदेश में ऐसी कई प्रथाएं हैं जो आप नहीं जानते होंगे। हम दावा करते हैं कि अगर आप जान जाओ तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। चाहे भारत में अघोरियों की जीवन शैली हो या भारत के बाहर पारसी समुदाय का अंतिम संस्कार हो। वो कहानियां कभी। आज आपको सुनाएंगे कहानी एक ऐसी जनजाति की जो मरने के बाद मुर्दे को पूरा नहीं जलाती बल्कि सिर्फ खाल गलने तक भूनती है और फिर ममी बना कर हमेशा-हमेशा के लिए अपने पास सुरक्षित रख लेती है।
पापुआ न्यू गीनिया में एक दानी नाम की जनजाति है। यहां मृतक के शरीर को आधा जलाकर सालों-साल तक ममी बना कर अपने घर में रखा जाता है। इसके पीछे वजह बताई जाती है कि वो अपने परिवारिक सदस्य को मरने के बाद श्रद्धांजलि देना चाहते है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां मुर्दे को पहले जलाते हैं। फिर आधे जले हुए शरीर को आग से निकाल कर ममी के रूप में रखा जाता है। इतिहास में पढ़ने को मिलता है कि पुराने ज़माने में इजिप्ट में मुर्दों को ममी बनाने की परंपरा थी।
कई जगह मुर्दों को दफनाते हैं और कई जगह जलाते हैं। लेकिन मरने के बाद की जो प्रक्रिया यहां देखने को मिलती हो, वो वाकई हैरान करने वाली है।
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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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