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मनोरंजन

गणेश के लिए फिल्म समीक्षा महत्वपूर्ण

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अभिनेता बने गणेश आचार्य अपनी पहली फिल्म ‘हे ब्रो’ के प्रचार में व्यस्त हैं। वह कहते हैं कि उनके लिए फिल्म समीक्षकों की राय मायने रखती है। गणेश ने आईएएनएस को बताया, “मेरा मानना है कि फिल्म समीक्षक बहुत जरूरी हैं। उन्हें मालूम होता है कि फिल्म अच्छी है या बुरी। यह मनोरंजन से परिपूर्ण पारिवारिक फिल्म है। मैं आशा करता हूं कि उन्हें फिल्म पसंद आएगी। कलाकार होने के नाते फिल्म समीक्षा मायने रखती है।”

अजय चंडोक निर्देशित ‘हे ब्रो’ गणेश की पत्नी विधि आचार्य ने बनाई है। फिल्म में गणेश मुख्य भूमिका में हैं।

गणेश ने कहा, “मेरी पत्नी फिल्म बना रही हैं। वह फिल्म बनाना चाहती थीं, तो मैंने कहा, ओके। मुझे पटकथा मिलने पर फिल्म पसंद आई, लेकिन यह काफी महंगी फिल्म थी। उन्होंने (विधि) कहा कि हम इसे करेंगे और उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है।”

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मनोरंजन

हाईकोर्ट पहुंचे जैकी श्रॉफ, बिना इजाजत ‘भ‍िडू’ बोला तो देना होगा 2 करोड़ जुर्माना

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मुंबई। बॉलीवुड के दिग्गज एक्‍टर जैकी श्रॉफ को आपने अक्सर ‘भ‍िडू’ शब्द का प्रयोग करते सुना होगा। कई बार उनसे मुलाकात के दौरान उनके फैंस भी इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब अगर आपने आगे से ऐसा किया तो आपको 2 करोड़ रु का जुर्माना देना पड़ सकता है। एक्‍टर ने ‘व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा’ के तहत ‘भ‍िडू’ शब्‍द के इस्‍तेमाल पर दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कई संस्‍थानों के ख‍िलाफ केस किया है।

यह मामला उन संगठनों के खिलाफ दायर किया गया है जो जैकी श्रॉफ का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना व्यावसायिक लाभ के लिए कर रहे हैं। उम्मीद है कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुनाएगा ताकि अभिनेता के प्रचार अधिकारों की रक्षा की जा सके। मामले को कल 14 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

यह पहली बार नहीं है कि किसी बॉलीवुड अभिनेता ने गोपनीयता और प्रचार अधिकार के लिए अदालत से मदद मांगी है। इससे पहले दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन ने लोगों को अभिनेता की नकल करने और उनकी सहमति के बिना उनकी आवाज का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

दूसरी ओर पिछले साल अनिल कपूर ने भी अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसके अलावा, इस साल जनवरी में अनिल कपूर ने केस जीत लिया। इसमें उन्होंने ‘झकास’ शब्द वाला तकिया कलाम, अपने नाम, आवाज, बोलने के तरीके, छवि, समानता और हावभाव की सुरक्षा की मांग की थी। उनका कहना था कि इसका प्रयोग न किया जाए।

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