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अन्तर्राष्ट्रीय

कश्मीर को एकजुट करने का पीटीआई का संकल्प

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इस्लामाबाद | पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) अपने नेता इमरान खान के नेतृत्व में हर मोर्चे पर कश्मीर के लोगों के अधिकार के लिए संघर्ष करेगी। पार्टी के एक नेता ने यह जानकारी दी। डान की एक रपट के मुताबिक, पीटीईआई महासचिव जहांगीर तरीन ने गुरुवार को मुजफ्फराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “कश्मीर के लोगों को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के मुताबिक आत्मनिर्णय का अधिकार दिया जाना चाहिए।”

उन्होंने संकल्प लिया कि सत्ता में आने पर वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और भारत के हिस्से वाले कश्मीर को एकजुट करेंगे। तरीन ने कहा कि नया पाकिस्तान तभी बनेगा, जब लोग वोट की ताकत से भ्रष्ट शासकों को निकाल फेंकेंगे। उन्होंने कहा, “हमारे संघर्ष का मकसद समाज के विभिन्न लोगों का अधिकार सुनिश्चित करना और पाकिस्तान को शांति, प्रगति तथा समृद्धि के पथ पर अग्रसर करना है।”

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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