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अध्यादेश के बहाने धरने के तराने, सुन रहा है ना….
नई दिल्ली। धरने के दिन फिर आ गए, जंतर-मंतर गुलजार हो गया। फर्क यही है कि धरना किंग इस बार मंच पर नहीं चढ़ पाए क्योंकि उनके पूर्व में किए गए धरने का फल मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें मिल चुका है। अब बात इस धरने के कारण की। सवाल भूमि अधिग्रहण बिल से शुरू हुआ, भाजपानीत राजग की सरकार ने लगभग वही बिल पेश किया है जो पिछली यूपीए सरकार ने जाते-जाते एक अच्छे कार्य के रूप में किया था। यूपीए सरकार द्वारा बिल पेश किए जाने के समय को लेकर संदेह उठता है। जब आप दस साल से सरकार में थे या यूं कहिये कि आजादी के 65 साल से सरकार में थे तो गांव, किसान और गरीब के लिए कानून बनाने से आपको किसने रोका था?
बहस ज्यादा लंबी न हो इसलिए इस सवाल को यहीं रोकते हैं। अब बात वर्तमान विधेयक की तो सबसे पहली बात यह है कि आज जितनी भी सड़कें, रेल पटरियां, बड़े-बड़े शापिंग मॉल या इंडस्ट्रीज हैं वो सब किसान की ही ज़मीन पर हैं क्योंकि जमीन तो किसानों के पास ही थी और है भी। अब यदि उन्हीं के विकास के लिए उनकी थोड़ी सी जमीन ली जा रही है और बदले में उनको चार गुना मुआवजे के साथ अन्य सुविधा भी दी जा रही है तो हर्ज क्या है?
सवाल यह है कि 65 सालों से गरीबों और किसानों के हित की बात ही की जा रही है, उनके नाम पर तमाम सरकारें आईं और चली गईं लेकिन उनका विकास नहीं हुआ आखिर क्यों? कहीं न कहीं नीयत में खोट था। अब यदि मोदी सरकार वास्तव में उनका विकास करना चाहती है तो इतना हंगामा क्यों? आखिर हंगामा करने वाले कौन लोग हैं? क्या उनकी नीयत वास्तव में वही है जो वह दिखा रहे हैं अथवा पर्दे के पीछे कोई और खेल चल रहा है। यदि देखा जाय तो धरना-प्रदर्शन करने वाले किसान नेता और किसान बंधु देश की कुल किसान आबादी का शायद एक प्रतिशत भी नहीं है।
मोदी सरकार को यह करना चाहिए कि वह इस अध्यादेश को लेकर गांव के असली अन्नदाता के पास जाय, उन्हें अपनी नीति और नीयत दोनों के बारे में समझाए। यहां तक कि मोदी और उनकी पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता का यह फर्ज बनता है कि इस बिल पर जनमत तैयार करें और जिन्हें जमीन देनी हैं उनके संशय को दूर करें, न कि एनजीओ के जरिए करोड़ों रूपये का चंदा लेने वाले और चार्टर्ड प्लेन से धरना करने आने वाले तथाकथित किसान-गरीब हितैषियों का।
यदि वास्तव में इस बिल से किसान और गरीबों का कुछ भी नुकसान होने वाला है तो इसका विरोध हर स्तर पर होना चाहिए लेकिन यदि इस बिल के जरिए टीवी पर चेहरा दिखाना या फिर विदेशों से चंदा हासिल करने को लक्ष्य बनाकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है तो इसकी जितनी भी निंदा की जाय वह कम है। इस धरने में ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने गुजरात के विकास को रोकने के लिए किसानों और गरीबों की दुहाई देकर खूब धरने-प्रदर्शन किए थे लेकिन उनके विरोध को दरकिनार कर गुजरात सरकार ने विकास संबंधी हर वो कार्य किया जिससे आज गुजरात विकसित राज्यों की श्रेणी में है। वहां का किसान खुश भी है और संपन्न भी। क्या देश के अन्य राज्यों के किसानों को इसी तरह खुशहाल और संपन्न होने का हक नहीं है?
नेशनल
जनता-जनार्दन ने 4 चरणों में ही इंडी गठबंधन को चारों खाने चित्त कर दिया है : पीएम मोदी
फतेहपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यूपी के फतेहपुर में एक जनसभा को संबोधित किया। जनसभा की शुरुआत में उन्होंने कहा कि आज एक तरफ देशहित के लिए समर्पित भाजपा-एनडीए गठबंधन है और दूसरी तरफ देश में अस्थिरता पैदा करने के लिए इंडी गठबंधन है। सपा-कांग्रेस तुष्टिकरण के आगे घुटने टेक चुकी हैं। मोदी जब इनकी सच्चाई देश को बता रहा है तो ये कहते हैं कि मोदी हिंदू मुसलमान कर रहा है। आज पूरा देश पूरी दुनिया जानती है कि मोदी सरकार की हैट्रिक बनने जा रही है। अभी देश में 4 चरण के चुनाव हुए हैं लेकिन जनता-जनार्दन ने इन 4 चरणों में ही इंडी गठबंधन को चारों खाने चित्त कर दिया है। भानुमति का कुनबा बिखरने लगा है, उसने हथियार डाल दिए हैं। पंजे और साइकिल के सपने टूटकर ‘खटाखट-खटाखट’ बिखर गए हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि बचे हुए चुनाव में कोई मेहनत भी नहीं करना चाहता। इंडी गठबंधन के कार्यकर्ता पहले से ही निराश थे, अब उन्होंने घर से निकलना ही छोड़ दिया है। इन चार चरणों में ही इंडी गठबंधन चारों खाने चित हो गया है। आपको पता होगा कि मैंने कहा था कि ये शहजादे केरल के वायनाड से भागेंगे। मैंने कहा था कि वो अमेठी की तरफ जाने की हिम्मत नहीं करेंगे, ये खबर भी पक्की निकली। उन्होंने कहा कि आगे की खबर ये है कि इज्जत बचाने के लिए अब कांग्रेस ने ‘मिशन 50’ रखा है। मतलब कैसे भी करके पूरे देश में 50 सीटें मिल जाए, ये कांग्रेस का लक्ष्य है। अब, 4 जून के बाद की प्लानिंग हो रही है कि हार का ठीकरा किस पर फोड़ा जाए। मुझे तो कोई बता रहा था कि विदेश यात्रा का टिकट भी बुक हो गया है। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस और सपा दोनों के सारे गुण मिलते हैं। दोनों परिवारवाद को समर्पित हैं और भ्रष्टाचार के लिए राजनीति में हैं। दोनों अपने वोटबैंक को खुश करने के लिए कुछ भी कर सकती हैं। दोनों अपराधियों और माफियाओं को बढ़ावा देती है।
सपा-कांग्रेस आतंकवादियों से हमदर्दी रखती है। सपा-कांग्रेस को लगता है कि ये हमारे समाज को तोड़कर अपना काम बना लेंगे, इसलिए, इनके हौंसले बढ़ गए हैं। कांग्रेस के शहजादे राम मंदिर (Ram Temple) पर ताला डलवाने का ख्वाब देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि सपा के बड़े नेता कहते हैं कि राम मंदिर तो बेकार है। इनके गठबंधन के लोग कहते हैं कि सत्ता में आकर सनातन धर्म का विनाश कर देंगे। सपा सरकार में यूपी अपराध में टॉप पर होता था। लेकिन, विकास के मामले में यूपी की गिनती पिछड़ी प्रदेश के तौर पर होती थी। आज भाजपा सरकार उत्तर प्रदेश को विकास में टॉप पर ले आई है। आज यूपी सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे वाले राज्यों में टॉप पर है। सबसे ज्यादा एयरपोर्ट के मामले में यूपी टॉप पर है। यूपी सात शहरों में मेट्रो शुरू करके टॉप पर है। यही नहीं गरीब कल्याण की जो योजनाएं मैं चलाता हूं, यूपी उनमें भी टॉप पर है।
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