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महिलाओं को नहीं मिलता उनके हक का सम्मान : कोर्ट

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नई दिल्ली | दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि महिलाओं को समाज में नकारात्मक ढंग से निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें उनके हिस्से का सम्मान नहीं दिया जाता। अदालत ने कहा कि लैंगिक संवेदीकरण आज के समय की मांग है। अतिरिक्त सत्र कोर्ट के न्यायाधीश विमल कुमार यादव ने सोमवार को वर्ष 2013 में छेड़छाड़ और एक व्यक्ति की मौत का कारण बने दो युवकों को दो साल की सजा सुनाते हुए कहा, “लोगों में लैंगिक संवेदीकरण समय की मांग हैं। महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।”

उन्होंने कहा, “परिवार, समाज और जीवन की हर राह में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिलाओं को उनके हिस्से का मान-सम्मान नहीं दिया जाता। समाज में महिलाओं को हक दिए जाने की अपेक्षा उन्हें समाज द्वारा नकारात्मक ढंग से निशाना बनाया जा रहा है।” न्यायाधीश ने कहा,”पितृसत्तात्मक समाज ने पुरुषों की जो सोच बनाई है, वह उचित नहीं हो सकती, लेकिन दुर्भाग्य से यह अभी भी प्रबल है। महिलाओं का सम्मान करने की अपेक्षा, पुरुष उनसे बुरा बर्ताव करते हैं।”कोर्ट ने दो युवकों- सूरज और अजय- को सजा सुनाते हुए ये बातें कही। 24 फरवरी, 2013 की शाम सेवालाल नाम के व्यक्ति ने छेड़छाड़ के लिए दोनों युवकों का विरोध किया था, जिसके बाद बहस झड़प में बदल गई थी। इस झड़प में सेवालाल गंभीर रूप से घायल हुए थे और बाद में उनकी मौत हो गई थी।

अदालत ने सूरज और अजय को जाबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी करार दिया। लेकिन यादव ने कहा कि मौत का कारण हृदयाघात भी हो सकता है। हालांकि, सेवालाल की पत्नी ने अपनी शिकायत में ओरोपियों को पति की मौत का जिम्मेदार बताया है और कहा कि आरोपियों ने उनके पति को पीटा था और उनके सीने पर वार किया था। आरोपियों की उम्र, सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक पृष्ठभूमि देखते हुए अदालत ने उन्हें दो साल जेल की सजा सुनाई और स्वच्छंद व्यवहार को नियंत्रित करने की चेतावनी दी।

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कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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