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सांसद ने दी विवादों को हवा, बोले- राहुल की धर्मनिरपेक्षता वेश्या जैसी तो नहीं!
नई दिल्ली। एक तरफ जहां राहुल गांधी विरोधी नेताओं पर व्यक्तिगत टिप्पणी करने से बच रहे हैं, वहीं बीजेपी नेताओं का बड़बोलापन थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बार मध्य प्रदेश के उज्जैन से बीजेपी सांसद और प्रवक्ता चिंतामणी मालवीय ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है।
राहुल गांधी इन दिनों गुजरात दौरे पर हैं और लगातार मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं। इसे लेकर बीजेपी सांसद मालवीय ने सवाल उठाते हुए कहा कि कहीं ये धर्मनिरपेक्षता वैसे ही तो नहीं जैसा कि सुनते आए हैं कि वेश्या ही सबसे ज्यादा धर्म निरपेक्ष होती है, मन में प्रश्न आता है कि राहुल गांधी की धर्म निरपेक्षता वेश्या जैसी तो नहीं।
उन्होंने कहा कि राहुल की यह धर्मनिरपेक्षता गुजरात चुनाव को देखकर जागी है। पहले उनकी धर्म निरपेक्षता जालीदार टोपी और दरगाहों में चादर चढ़ाने तक सिमटी हुई थी। बीजेपी सांसद ने कहा कि राहुल आजकल गौशाला जा रहे हैं, पर जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरेआम केरल में गौवंश की हत्या कर उसका मीट खाया था तो वह कहां थे।
मालवीय ने कहा कि यह देखकर बड़ी खुशी हुई कि गुजरात में जाकर राहुल गांधी धार्मिक हो गए। लेकिन अगली ही लाइन में वो राहुल से सवाल करते है कि वह केवल गुजरात के मंदिरों में ही क्यों जा रहे है कभी कश्मीर, कर्नाटक या केरल के मंदिरों में क्यों नहीं जाते हैं?
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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