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हेल्थ

74 प्रतिशत मानते हैं सरकारी अस्पतालों में भ्रष्टाचार : सर्वेक्षण

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नई दिल्ली, 28 सितम्बर (आईएएनएस)| हाल में हुए सर्वेक्षणों में 74 प्रतिशत लोगों ने माना कि सरकारी अस्पतालों में खरीद/आपूर्ति में होने वाला भ्रष्टाचार आम है जबकि 2 प्रतिशत ने कहा कि ऐसा नहीं है।

24 प्रतिशत लोग इसके बारे में निश्चित नहीं थे। सरकारी अस्पतालों में उपकरण के खराब होने और ऑक्सीजन की अनुपलब्धता के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हुई को देखते हुए लोकल सर्कल ने यह सर्वेक्षण कराया। इस सर्वेक्षण में 32,000 से ज्यादा लोगों ने वोट किया।

दूसरे सर्वेक्षण में 59 प्रतिशत नागरिकों ने यह माना कि शहर के सरकारी अस्पतालों में सामानों एवं दवाओं की चोरी और बिक्री आम है। 3 प्रतिशत लोगों ने माना कि ऐसा नहीं है जबकि 38 प्रतिशत लोग इस बारे में निश्चित नहीं थे और अपने विचार जाहिर नहीं किए।

लोकल सर्कल ने अपने बयान में कहा, ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों को बाहर के व्यक्तियों को कम दाम में दवाइयां बेचते हुए पकड़ा गया है। यहां तक कि सीरिंज और पट्टियों जैसी चीजों को बाहरी लोगों को बेचा गया। सरकारी अस्पताल में दवाइयां पहुंचाने वाले अधिकांश आपूर्तिकर्ताओं को अपने बिल पास कराने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है।

तीसरे सर्वेक्षण में लोगों से पूछा गया कि सरकारी अस्पतालों में जाने का प्रमुख कारण क्या है। केवल 15 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह सरकारी अस्पतालों पर निजी अस्पतालों से ज्यादा विश्वास करते हैं और 16 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वह कम लागत के कारण वहां जाते हैं। हैरानी की बात है कि 65 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे सरकारी अस्पतालों में नहीं जाते और 4 प्रतिशत ने कहा कि सरकारी अस्पताल ही उनके शहर में एकमात्र विकल्प है।

बयान में आगे कहा गया, यह पता चलने के बाद कि राज्य सरकार के अस्पतालों में खराब गुणवत्ता वाले सेवाओं का मूल कारण भ्रष्टाचार है, आखिरी सर्वेक्षण में उपभोक्ताओं से पूछा गया कि राज्य सरकार के अस्पतालों में भ्रष्टाचार को कैसे कम किया जा सकता है।

भ्रष्टाचार कम करने के सवाल पर 40 प्रतिशत लोगों ने कहा कि राज्य की भ्रष्टाचार रोधी इकाइयों को मजबूत करके ऐसा किया जा सकता है। 18 प्रतिशत ने कहा कि इन अस्पतालों का निजीकरण करके ऐसा किया जा सकता है और 29 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक खरीद को अनिवार्य करके भ्रष्टाचार कम किया जा सकता है।

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योग एवं आयुर्वेद

ये वर्कआउट्स डिप्रेशन से लड़ने में हैं मददगार, मूड को रखते हैं हैप्पी  

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नई दिल्ली। भागमभाग वाली जीवनशैली, काम का बोझ, खानपान व अन्य तनावों के चलते आजकल लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिसके चलते कभी-कभी हादसे भी हो जाते हैं। डिप्रेशन से लड़ने में कई वर्कआउट्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डिप्रेशन में किस तरह के वर्कआउट्स फायदेमंद हैं-

  1. रनिंग

रनिंग करने से बॉडी में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हॉर्मोन्स का सिक्रिशन होता है और कोर्टिसोल का लेवल घटता है जो स्ट्रेस बढ़ाने वाला हॉर्मोन होता है। तनाव की स्थिति में ये हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, तो रनिंग इसे कम करने में प्रभावी है। रनिंग से मसल्स बनने के साथ ही हार्ट व ब्रेन भी हेल्दी रहता है।

  1. वेट लिफ्टिंग

वेट लिफ्टिंग के जरिए भी हल्के-फुल्के तनाव और अवसाद के लक्षणों से निपटा जा सकता है। वेट ट्रेनिंग के दौरान पूरा फोकस हाथों और शरीर पर होता है बाकी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाता। वेट लिफ्टिंग से मसल्स टोन्ड और स्ट्रॉन्ग होती है। ओवरऑल बॉडी फिट नजर आती है।

  1. योगा

बिना दौड़भाग के की जाने वाली बहुत ही बेहतरीन फिजिकल एक्टिविटी है योगा। तरह-तरह के शारीरिक मुद्राएं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शरीर के साथ आपके दिमाग पर भी काम करती हैं। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन का सुझाव एक्सपर्ट्स भी देते हैं। योग के महज 1/2 घंटे के अभ्यास से ही आपको अच्छा फील होगा।

  1. धूप का सेवन

धूप का सेवन तनाव, चिंता और अवसाद को दूर रखने में मददगार होता है। धूप से बॉडी में सेरोटोनिन का प्रोडक्शन होता है जो मूड को हैप्पी रखता है।

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डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सूचना मात्र हैं। अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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