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सोहराबुद्दीन शेख मामले में वंजारा, दिनेश बरी

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मुंबई, 1 अगस्त (आईएएनएस)| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने यहां मंगलवार को गुजरात के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी डी.जी.बंजारा तथा एम.एन.दिनेश को साल 2005 में शोहराबुद्दीन शेख ‘फर्जी मुठभेड़’ मामले में बरी कर दिया। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी बंजारा अहमदाबाद पुलिस में अपराध शाखा के प्रमुख थे और बाद में पुलिस उपनिरीक्षक बने, जबकि आईपीएस अधिकारी दिनेश राजस्थान पुलिस में कार्यरत थे और बाद में गुजरात आतंकवाद-रोधी दस्ते के प्रमुख बनाए गए।

अदालत के इस फैसले से सीबीआई को जोरदार झटका लगा है, जिसने मामले में बंजारा पर मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया था, जबकि दिनेश ने उस मुठभेड़ का नेतृत्व किया था, जिसमें बंजारा को 12 साल पहले मार गिराया गया था।

इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में काफी घमासान हुआ, जिसमें एक संदिग्ध बदमाश सोहराबुद्दीन शेख को गुजरात में नवंबर 2005 में एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था।

मामले की जांच करने वाली सीबीआई के मुताबिक, शेख तथा उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात एटीएस की टीम ने कथित तौर पर तब पकड़ा था, जब वे बस से आंध्र प्रदेश के हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे।

शेख को गांधीनगर के निकट मुठभेड़ में मार गिराया गया था, जबकि उसकी पत्नी को कुछ दिनों बाद मारा गया था। शेख को वैश्विक आतंकवादी संगठन से जुड़ा बताया गया और कहा कि वह ‘हमले की साजिश’ कर रहा था।

दंपत्ति के साथ यात्रा कर रहे एक सह यात्री तुलसीराम प्रजापति को दिसंबर 2006 में बनासकांठा जिले के छापरी गांव में मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया था। प्रजापति इस मामले का एकमात्र चश्मदीद था।

वंजारा साल 2007 से लेकर फरवरी 2015 तक न्यायिक हिरासत में रहे। फरवरी 2015 में उन्हें जमानत मिली, लेकिन साल 2013 में उन्होंने सेवा से इस्तीफा दे दिया, जबकि दिनेश साल 2014 में रिहा हुए।

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नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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