Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

नेशनल

स्वराज के महानायक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (जंयती विशेष)

Published

on

Loading

यह एक अद्भुत संयोग है कि तिलक 1856 के विद्रोह के वर्ष में तब उत्पन्न हुए जब देश का सामान्य वातावरण अंग्रेजी राज्य के विरुद्ध विद्रोह की भावना से पूर्ण था।

महानायक तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को शिवाजी की कर्मभूमि महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश के रत्नागिरि नामक स्थान पर हुआ। तिलक का वास्तविक नाम केशव था। तिलक को बचपन में बाल या बलवंत राव के नाम से पुकारा जाता था। तिलक के पिता गंगाधर राव प्रारंभ में अपने कस्बे की स्थानीय पाठशाला में एक शिक्षक थे। बाद में थाने तथा पूना जिले में सरकारी स्कूलों में सहायक इंस्पेक्टर बन गए। पिता के सहयोग के फलस्वरूप वे संस्कृत, गणित और व्याकरण जैसे विषयों में अपनी आयु के बालकों में बहुत आगे थे। मेधावी होने के कारण उन्होंने दो वर्षो में तीन कक्षाएं भी उत्तीर्ण की।

तिलक का विवाह 15 वर्ष की आयु में ही हो गया। उनके विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पिता का देहांत हो गया। माता-पिता के निधन के बाद तिलक के पालन पोषण का भार उनके चाचा पर पड़ गया। तिलक ने सन 1872 में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। 1876 में बीए की परीक्षा पास की और 1879 में एलएबी की परीक्षा पास की।

लोकमान्य तिलक का जब राजनैतिक पदार्पण हुआ तब देश में राजनैतिक अंधकार छाया हुआ था। दमन और अत्याचारों के काले मेघों से देश आच्छादित था। जनसाधारण में इतना दासत्व उत्पन्न हो गया था कि स्वराज और स्वतंत्रता का ध्यान तक उनके मस्तिष्क में नहीं था। उस वक्त आम जनता में इतना साहस न था कि वह अपने मुंह से स्वराज का नाम निकाले। ऐसे कठिन समय में लोकमान्य तिलक ने स्वतंत्रता के युद्ध की बागडोर संभाली।

साल 1891 में उन्होंने केसरी और मराठा दोनों ही पत्रों का संपूर्ण भार स्वयं खरीदकर अब इन्हें स्वतंत्र रूप से प्रकाशित करना शुरू कर दिया। अपनी प्रतिभा, लगन और अदम्य कार्यशक्ति के बल पर शीघ्र ही जनक्षेत्र में अपना स्थान बना लिया। उनकी लौह लेखनी से ही केसरी और मराठा महाराष्ट्र के प्रतिनिधि पत्र बन गए।

केसरी के माध्यम से समाज में होने वाले अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने पर तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया। तिलक को राजद्रोही घोषित कर छह वर्ष का कालापनी और एक हजार रुपये का अर्थदंड दिया गया। इस दंड से सारे देश में क्रोध की लहर दौड़ गई। जनता द्वारा सरकार का विरोध किया गया, बाद में सरकार ने थोड़ा झुकते हुए उन्हें साधारण सजा सुनाई। उन्हें कुछ दिन बाद अहमदाबाद तथा बाद में वर्मा की मांडले जेल भेज दिया गया।

जब तिलक को सजा सुनाई जा रही थी, उस समय भी उनके मन में घबराहट नहीं हुई। उस समय भी उन्होंने यही कहा था, यद्यपि ज्यूरी ने मेरे खिलाफ राय दी है फिर भी मैं निर्दोष हूं। वस्तुत: मनुष्य की शक्ति से भी अधिक शक्तिशाली दैवी शक्ति है। वही प्रत्येक व्यक्ति और राष्ट्र के भविष्य की नियंत्रणकर्ता है। हो सकता है कि देश की यही इच्छा हो कि स्वतंत्र रहने के बजाय कारागार में रहकर कष्ट उठाने से ही मेरे अभीष्ट कार्य की सिद्धि में अधिक योग मिले।

उन्होंने एक बार कहा था, साक्षात परमेश्वर भी मोक्ष प्रदान करने लगे तो मैं उनसे कहूंगा पहले मुझे मेरे देश को परतंत्रता से मुक्त देखना है।

इसी प्रकार उन्होंने घोषित किया, ‘स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’। जब तक यह भाव मेरे दिल मंे है मुझे कौन लांघ सकता है। मेरी इस भावना को काट नहीं सकते, उसको भस्म नहीं कर सकते, मेरी आत्मा अमर है।

यह उनका संदेश था जो भारत के एक-एक भारतीय को झकझोर गया। जेल यात्रा के दौरान उन्होंने लगभग पांच सौ ग्रंथों का गहन अध्ययन किया तथा गीता रहस्य नामक गं्रथ की अमर रचना की। लोकमान्य तिलक ने कांग्रेस की लंदन शाखा का भी गठन किया।

तिलक के स्वदेश लौटते ही उन्हें एक लाख रुपये की थैली भेंट की गई। उन्होंने अपना सारा धन होमरूल आंदोलन को देकर अपने देशप्रेम का अद्भुत परिचय दिया। इसके थोड़े ही दिन बाद वे बीमार पड़ गए और 31 जुलाई, 1920 की रात को सदा के लिए अंतिम सांस ली। इस प्रकार भारतीय राजनैतिक गगन का यह सूर्य अस्त हो गया।

उनका अंतिम संदेश यही था, ‘देश व भारतीय संस्कृति के लिए जिसने अपने जीवन को बलिदान कर दिया, मेरे हृदय मंदिर में उसी के लिए स्थान है।’ जिसके हृदय में माता की सेवा के लिए भाव जाग्रत है वही माता का सच्चा सपूत है। इस नश्वर शरीर का अंत तो होना ही है। हे भारत माता के नेताओं और सपूतों मैं आप लोगों से अंत में यही कहना चाहता हूं कि मेरे इस कार्य को उत्तरोत्तर बढ़ाना।

उनका धैर्य कभी कम नहीं हुआ और निराशा उनके जीवन को छू तक न सकी। उनके अलौकिक गुणों को धारण करना ही उनका स्मरण है। ऐसे देशभक्त एवं वीर पुरुषों से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को देश तथा समाज के कल्याण में लगाना चाहिए। ताकि भारत की स्वतंत्रता, एकता व अखंडता कायम रहे। (आईएएनएस/आईपीएन)

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

Continue Reading

नेशनल

दिल्ली के विवेक विहार के बेबी केयर सेंटर में लगी आग, 7 बच्चों की मौत

Published

on

Loading

नई दिल्ली| दिल्ली के विवेक विहार में शनिवार रात एक बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 7 बच्चों की मौत हो गई. पांच बच्चों का इलाज दूसरे अस्पताल में चल रहा है। अस्पताल से 12 नवजात बच्चों का रेस्क्यू किया गया था। इनमें से छह बच्चों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। जबकि एक की पहले ही मौत हो चुकी थी। बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन सिलिंडर फटने से अस्पताल में आग लगी थी।

जानकारी के अनुसार दमकल विभाग को रात 11:32 पर आग लगने की सूचना मिली थी. जिसके तुरंत बाद मौके पर दमकल विभाग की 9 गाड़ियां भेजी गई. पुलिस और दमकल विभाग ने 12 बच्चों को रेस्क्यू किया, जिनमें से 7 की मौत हो गई है। जानकारी के अनुसार 5 बच्चे अस्पताल में एडमिट है। ईस्ट दिल्ली एडवांस्ड केयर हॉस्पिटल में बच्चों को एडमिट किया गया है दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि विवेक विहार में आईआईटी, ब्लॉक बी के पास एक शिशु देखभाल केंद्र से आग लगने की सूचना मिलते ही कुल नौ दमकल गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंचीं थी।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बच्चों के अस्पताल में आग की ये घटना हृदयविदारक है। घटना के कारणों की जांच की जा रही है और जो भी इस लापरवाही का ज़िम्मेदार होगा, वो बख्शा नहीं जाएगा। दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने नवजात शिशुओं की मौत पर स्वास्थ्य सचिव से रिपोर्ट तलब की है। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जाएगी। जो भी व्यक्ति दोषी हैं। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में सहानुभूति के सारे शब्द कम हैं।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस हादसे में, जिन्होंने अपने मासूम बच्चों को खोया है, हम उनके साथ खड़े हैं। घटनास्थल पर सरकार और प्रशासन के अधिकारी घायलों को इलाज मुहैया करवाने में लगे हुए हैं। दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि अस्पताल में सात बच्चों को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि पांच नवजात शिशुओं का इलाज चल रहा है। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए जीटीबी अस्पताल ले जाया गया है।

Continue Reading

Trending