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स्‍मार्ट फोन के इस्‍तेमाल से मना किया तो जवान ने मेजर को गोली से उड़ाया

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मोबाइल फोन, जम्मू-कश्मीर, मेजर, एके-47, सेना

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नई दिल्ली। फौज की ड्यूटी के दौरान स्‍मार्ट फोन का इस्‍तेमाल करने से मना करने से खफा एक जवान ने मेजर को गोली मार दी। आरोपित जवान की तैनाती जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में है।

गोली लगने से मेजर की मौके पर ही दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि जवान ने मेजर को पीछे से आकर एके-47 से पांच गोलियां मार दीं। सेना ने पूरी घटना के जांच के आदेश दे दिए हैं।

मेजर शिखर थापा 8 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे। बताया जा रहा है कि जिस जगह मेजर तैनात थे, वह जगह एलओसी के बेहद नजदीक है।

सेना के अफसरों ने घटना की पुष्टि कर दी है और मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो जवान को मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते देखकर मेजर थापा ने जवान को रोक दिया।

मेजर ने जवान से इसकी शिकायत कमांडिंग ऑफिसर से भी करने की बात कही थी। इसके बाद दोनों में धक्का-मुक्की हुई। इसमें जवान का फोन टूट गया। बाद में दोनों में जबरदस्त बहस हुई, इससे नाराज जवान ने मेजर को गोलियां मारकर उड़ा दिया।

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कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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