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नेशनल

जीजेएम की रैली में फिर शामिल हुए बच्चे, सरकार ने निंदा की

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दार्जिलिंग, 3 जुलाई (आईएएनएस)| पश्चिम बंगाल से अलग कर गोरखालैंड राज्य बनाने की मांग के लिए आंदोलनरत लोगों ने सोमवार को दार्जिलिंग की एक रैली में एक बार फिर अपने बच्चों को शामिल किया।

इससे पहले भी बंगाल के इस उत्तरी पहाड़ी इलाके में जारी आंदोलन में आंदोलनकारियों ने अपने बच्चों को शामिल किया था, जिसकी काफी आलोचना हुई थी। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) द्वारा आहूत अनिश्चितकालीन बंद सोमवार को 18वें दिन भी जारी रहा और इससे सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित रहा। पहाड़ी इलाकों में कई जगह हिंसा की छिटपुट घटनाएं दर्ज की गईं। जीजेएम के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर पुलिस के एक वाहन को आग के हवाले कर दिया।

जीजेएम के नेतृत्व ने यह भी दावा किया कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पहाड़ी इलाके के कई समुदायों के कल्याण के लिए गठित किए गए कल्याण बोर्डो के 16 सदस्यों ने सामूहिक रूप से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और उन्होंने गोरखालैंड के प्रति अपना समर्थन प्रकट किया है।

जीजेएम के सहायक महासचिव बिनॉय तमांग ने कहा, 16 समुदाय कल्याण बोर्डो के सभी सदस्यों ने गोरखालैंड के समर्थन में अपने-अपने बोर्ड से सार्वजनिक रूप से इस्तीफा देने की घोषणा की है।

जीजेएम कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में बच्चे और किशोर गोरखालैंड के समर्थन में लिखे नारों के साथ बैनर और फेस्टून्स (बन्दनवार) लिए हुए थे। इन्होंने जिलाधिकारी के कार्यलाय से दार्जिलिंग में चौक बाजार तक रैली की।

रैली में छोटे बच्चों को शामिल करने के लिए उन पर दबाव डालने संबंधी आरोपों को अस्वीकार करते हुए मोर्चा के नेतृत्व ने दावा किया कि इस आंदोलन में पूरे पहाड़ी क्षेत्र की ओर से सहज भागीदारी हो रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई अभिभावकों ने पार्टी नेतृत्व से गोरखालैंड आंदोलन में अपने बच्चों को शामिल करने की खुद ही गुजारिश की थी।

अपने बच्चे के साथ प्रदर्शन में शामिल एक महिला ने कहा, गोरखालैंड सभी के लिए है। अगर गोरखालैंड की मांग पूरी हो गई तो यह इन सभी बच्चों के भविष्य के लिए भी अच्छा होगा।

लेकिन, पश्चिम बंगाल सरकार ने जीजेएम के इस कदम की कड़ी निंदा की और इसे असंवैधानिक और न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ बताया।

राज्य के पयर्टन मंत्री गौतम देव ने कहा, बच्चों को एक लोकतांत्रिक आंदोलन के नाम पर सड़कों पर नहीं लाया जाना चाहिए। जीजेएम नेताओं की ओर से बयान बहुत ही गैरजिम्मेदाराना हैं। बच्चों को शामिल करके, वे कानून को तोड़ रहे हैं और उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के खिलाफ काम कर रहे हैं।

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नेशनल

स्वाति मालीवाल ने निर्भया कांड को किया याद, कहा- अब पार्टी के लोग एक आरोपी को बचाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं

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नई दिल्ली। आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने रविवार को 12 साल पुराने निर्भया कांड को याद करते हुए कहा कि अब पार्टी के लोग एक आरोपी को बचाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार के खिलाफ 13 मई को सीएम आवास के भीतर बदसलूकी की शिकायत दर्ज कराने वाली मालीवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “एक समय था जब हम सब निर्भया के लिए न्याय की मांग करते हुए सड़कों पर निकले थे। आज, 12 साल बाद, हम उस आरोपी को बचाने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं जिसने सीसीटीवी फुटेज मिटा दिया और फोन को फार्मेट कर दिया।”

उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “काश उन्होंने मनीष सिसोदिया जी के लिए इतनी ताकत झोंकी होती। यदि वह यहां होते तो हो सकता है कि मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ होता।” विभव कुमार को शनिवार को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और देर रात एक स्थानीय अदालत ने उन्हें पांच दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने अदालत को बताया था कि उसे जो सीसीटीवी फुटेज मुहैया कराया गया है वह ब्लैंक है। कुमार ने अपना मोबाइल फोन पुलिस को दिया लेकिन पासवर्ड नहीं बताया। इसके अलावा कुमार ने खराबी का बहाना बनाकर एक दिन पहले अपना मोबाइल फॉर्मेट कर दिया था।

पुलिस ने अदालत को बताया कि फोन को फॉर्मेट करने से पहले उसके डाटा को क्लोन करना होता है। इसलिए, उनके फोन के डाटा को वापस हासिल करने के लिए उन्हें मुंबई ले जाया जाएगा क्योंकि डाटा रिट्रीव करने के लिए विशेषज्ञों के समक्ष उनकी उपस्थित जरूरी है। पुलिस ने मामले में छेड़छाड़ और गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज किया है। सिविल लाइंस थाने में दर्ज मामले में आईपीसी की धारा 308 (गैर-इरादतन हत्या), 341 (गलत तरीके से रोकना), 354बी (महिला का चीरहरण करने के उद्देश्य से बलप्रयोग), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला का शीलभंग करने वाले शब्द, भंगिमा या कार्य) के तहत आरोप लगाये गये हैं।

 

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