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उप्र : अप्राकृतिक कृत्य के दोषी को छह साल का सश्रम कारावास
फिरोजाबाद, 7 जून (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश के शिकोहाबाद-फिरोजाबाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अरविंद कुमार यादव ने नौ वर्ष पूर्व हुए अप्राकृतिक कृत्य के मामले के दोषी बबलू को बुधवार को छह वर्ष के सश्रम कारावास एवं पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
जुर्माना अदा न करने पर एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। पीड़ित बच्चे के पिता ने 14 मई, 2008 को उत्तरी फिरोजाबाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कहा कि उसके नौ वर्षीय बेटे के साथ बबलू ने दुष्कर्म किया और मारपीट की साथ ही धमकी दी कि अगर उसने घर पर किसी को बताया तो जान से मार देगा। बच्चे को काफी तकलीफ हुई। वह सारी रात सोया नहीं और रोता रहा। काफी समझाने पर उसने बबलू के द्वारा की गई घटना के बारे में बताया।
पुलिस ने अभियोग दर्ज कर विवेचना के बाद आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने अभियुक्त पर आरोप लगाया, जिसने आरोप से इनकार करते हुए मुकदमे की मांग की। न्यायालय में तमाम गवाहों ने गवाही दी। सहायक अभियोजन अधिकारी रवींद्र पचौरी एवं वादी के अधिवक्ता अब्दुल सलाम ने केस को साबित करने के लिए माननीय उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय की तमाम नजीरें पेश कीं।
न्यायाधीश अरविंद कुमार यादव ने तमाम साक्ष्य एवं गवाहों के बयानों का अध्ययन करने के बाद बबलू को धारा 377 एवं 506 आईपीसी का दोषी पाते हुए छह वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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