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बंगाल भाजपा अध्यक्ष गोरखा प्रतिनिधिमंडल से मिले
कोलकाता, 7 जून (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने यहां बुधवार को गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।
जीजेएम ममता बनर्जी सरकार द्वारा दार्जिलिंग के स्कूलों में कथित तौर पर बंगाली भाषा को थोपे जाने के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहा है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार ने आरोपों का खंडन किया है।
घोष ने जीजेएम के महासचिव रोशन गिरि के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।
घोष ने ट्वीट किया, जीजेएम के प्रतिनिधियों से मुलाकात हुई..पश्चिम बंगाल के बदलते राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा हुई।
दार्जिलिंग में मंगलवार को जीजेएम के सैकड़ों समर्थकों ने पार्टी अध्यक्ष बिमल गुरुं ग के नेतृत्व में काले झंडे लहराए और ममता बनर्जी का पुतला फूंका।
उन्होंने मांग की कि राज्य सरकार को एक सर्कुलर जारी करना चाहिए कि बंगाली भाषा को दार्जिलिंग में अनिवार्य नहीं किया जाएगा।
वहीं, ममता बनर्जी ने सोमवार को जीजेएम द्वारा संचालित गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) पर बंगाली भाषा ‘थोपने’ के बारे में ‘अफवाह फैलाने’ का आरोप लगाया। जीटीए दार्जिलिंग विकास प्राधिकरण के रूप में काम करता है।
मिरिक में एक बैठक के दौरान ममता ने कहा, दार्जिलिंग तथा दूअर्स व तराई के स्कूलों में बंगाली भाषा को अनिवार्य नहीं किया जाएगा।
ममता ने जीटीए का एक विशेष ऑडिट कराने की भी घोषणा की और कोई गड़बड़ी पाए जाने पर दंडात्मक कार्रवाई करने की चेतावनी दी।
हाल में हुए निकाय चुनाव में जीजेएम दार्जिलिंग में शीर्ष स्थान बनाने में कामयाब रहा, लेकिन तृणमूल ने मिरिक अधिसूचित क्षेत्र जीतकर अच्छी-खासी बढ़त हासिल की, साथ ही दार्जिलिंग, कलिमपोंग तथा कुर्सियांग में भी उसकी सीटों में इजाफा हुआ है।
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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