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मनोरंजन

अब सेंसर पर भडक़ीं रवीना, बोलीं- 1970 के कानून चलाए जा रहे

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मुंबई। रवीना टंडन की भूमिका वाली फिल्म ‘मातृ’ के निर्माताओं और सेंसर बोर्ड के बीच फिल्म के प्रमाणन को लेकर ठन गई है। रवीना ने कहा है कि कानून में संशोधन समय की मांग है। इस मामले पर रवीना ने सोमवार को कहा, “मेरा मानना है कि फिल्म के दृश्यों से ज्यादा केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को फिल्म में इस्तेमाल की गई भाषा के साथ समस्या है।”

रवीना ने कहा, “मैं नहीं समझती क्यों.. क्योंकि हमने समाज को आईना दिखाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मैं समझती हूं कि सीबीएफसी भी 1970 से चले आ रहे कानूनों से बंधा है। हम आगे बढ़ गए हैं, लेकिन वे अभी भी उसी नियमों का पालन कर रहे हैं। शायद यहीं समस्या आती है। कानून में संशोधन की जरूरत है।”

रवीना ने कहा कि यह स्वीकार्य नहीं है कि ‘ए’ सर्टीफिकेट मिलने के बाद भी एक फिल्म में बहुत सारी कटौती होती है, जिससे मामला फीका हो जाता है। फिल्म का निर्देशन अशतर सैयद ने किया है। फिल्म मातृ की कहानी भारतीय समाज में महिला से दुष्कर्म और हिंसा से जुड़ी है। फिल्म के निर्माताओं ने कहा कि इस पर अभी अंतिम निर्णय आना बाकी है। फिल्म के 21 अप्रैल को रिलीज होने की उम्मीद है।

मनोरंजन

हाईकोर्ट पहुंचे जैकी श्रॉफ, बिना इजाजत ‘भ‍िडू’ बोला तो देना होगा 2 करोड़ जुर्माना

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मुंबई। बॉलीवुड के दिग्गज एक्‍टर जैकी श्रॉफ को आपने अक्सर ‘भ‍िडू’ शब्द का प्रयोग करते सुना होगा। कई बार उनसे मुलाकात के दौरान उनके फैंस भी इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब अगर आपने आगे से ऐसा किया तो आपको 2 करोड़ रु का जुर्माना देना पड़ सकता है। एक्‍टर ने ‘व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा’ के तहत ‘भ‍िडू’ शब्‍द के इस्‍तेमाल पर दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कई संस्‍थानों के ख‍िलाफ केस किया है।

यह मामला उन संगठनों के खिलाफ दायर किया गया है जो जैकी श्रॉफ का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना व्यावसायिक लाभ के लिए कर रहे हैं। उम्मीद है कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुनाएगा ताकि अभिनेता के प्रचार अधिकारों की रक्षा की जा सके। मामले को कल 14 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

यह पहली बार नहीं है कि किसी बॉलीवुड अभिनेता ने गोपनीयता और प्रचार अधिकार के लिए अदालत से मदद मांगी है। इससे पहले दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन ने लोगों को अभिनेता की नकल करने और उनकी सहमति के बिना उनकी आवाज का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

दूसरी ओर पिछले साल अनिल कपूर ने भी अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसके अलावा, इस साल जनवरी में अनिल कपूर ने केस जीत लिया। इसमें उन्होंने ‘झकास’ शब्द वाला तकिया कलाम, अपने नाम, आवाज, बोलने के तरीके, छवि, समानता और हावभाव की सुरक्षा की मांग की थी। उनका कहना था कि इसका प्रयोग न किया जाए।

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