Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

हेल्थ

कैल्शियम की कमी को न करें नजरअंदाज

Published

on

Loading

नई दिल्ली। कैल्शियम मजबूत हड्डियों के लिए जरूरी है, यह रक्त के थक्के (ब्लड क्लॉटिंग) में भी मदद करता है। शिशुओं के शुरुआती विकास और मांसपेशियां बनाने में भी सहायक होता है। कैल्शियम की कमी से कमजोर नाखून, दांत में दर्द, मासिक धर्म दर्द, धडक़न बढऩा और नाड़ी की समस्याएं हो सकती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 14 से 20 साल उम्र के ज्यादातर भारतीय से कैल्शियम की कमी से जूझ रहे हैं। सब्जियां, दही, बादाम और पनीर इसके स्रोत हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि कैल्शियम की कमी जिसे हायपोकैल्शिमिया भी कहा जाता है, तब होता है जब आपको पूरा कैल्शियम नहीं मिलता। अच्छी सेहत के लिए कैल्शियम के महत्व के बारे में पता होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जिन लोगों में कैल्शियम की कमी हो, उन्हें अपने आप दवा नहीं लेनी चाहिए और ज्यादा मात्रा में सप्लीमेंट्स नहीं लेने चाहिए। डॉक्टर से सलाह लें और सेहतमंद खानपान के साथ सप्लीमेट लें। उन्होंने कहा कि उम्र के साथ कैल्शियम की कमी हो सकती है। शरीर का ज्यादातर कैल्शियम हड्डियों में संचित होता है। उम्र बढऩे के साथ हड्डियां पतली और कम सघन हो जाती हैं जिससे कैल्शियम की मांग बढ़ जाती है।

भूखे रहने और कुपोषण, हार्मोन की गड़बड़ी, प्रिमैच्योर डिलीवरी और मैलएब्र्सोब्शन की वजह से भी कैल्शियम की कमी हो सकती है। मैलएब्र्सोब्शन तब होता है, जब हमारा शरीर खुराक से विटामिन और मिनरल नहीं सोख पाता।

लक्षण :

मसल क्रैम्प : होमोग्लोबिन और पानी की उचित मात्रा लेने के बावजूद अगर आप नियमित रूप से मसल क्रैम्प का सामना कर रहे हैं तो यह कैल्शियम की कमी का संकेत हैं।

लो बोन डेनसिटी : जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है कैल्शियम हड्डियों की मिनरलेजाईशन के लिए जरूरी होता है। कैल्शियम की कमी सीधे हमारी हड्डियों की सेहत पर असर करती है और ओस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्च र का खतरा बढ़ा सकती है।

कमजोर नाखून : नाखून के मजबूत बने रहने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है, उसकी कमी से वह भुरभुरे और कमजोर हो सकते हैं।

दांत में दर्द : हमारे शरीर का 90 प्रतिशत कैल्शियम दांतों और हड्डियों में जमा होता है उसकी कमी से दांतों और हड्डियों का नुकसान हो सकता है।

मासिक धर्म दर्द : कैल्शियम की कमी वाली महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान काफी तीव्र दर्द हो सकता है, क्योंकि मांसपेशियों के काम करने में कैल्शियम अहम भूमिका निभाता है।

एम्यूनिटी में कमी : कैल्शियम सेहतमंद रोग प्रतिरोधक क्षमता बना के रखता है। कैल्शियम में कमी पैथगॉन अटैक से जूझने की क्षमता कम कर देता है।

नाड़ी की समस्याएं : कैल्शियम कमी से न्योरोलॉजिकल समस्याएं जैसे कि सिर पर दबाव की वजह से सीजर और सिरदर्द हो सकता है। इसकी कमी से डिप्रेशन, इनसोमेनिया, पर्सनैल्टिी में बदलाव और डेम्निशिया भी हो सकता है।

धडक़न : कैल्शियम दिल के बेहतर काम करने के लिए आवश्यक है और कमी होने पर हमारे दिल की धडक़न बढ़ सकती है और बेचैनी हो सकती है। कैल्शियम दिल को रक्त पंप करने में मदद करता है।

डॉ. अग्रवाल की सलाह है कि अगर आप इनमें से किसी लक्षण का सामना कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

Continue Reading

योग एवं आयुर्वेद

ये वर्कआउट्स डिप्रेशन से लड़ने में हैं मददगार, मूड को रखते हैं हैप्पी  

Published

on

By

workout for depression

Loading

नई दिल्ली। भागमभाग वाली जीवनशैली, काम का बोझ, खानपान व अन्य तनावों के चलते आजकल लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिसके चलते कभी-कभी हादसे भी हो जाते हैं। डिप्रेशन से लड़ने में कई वर्कआउट्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डिप्रेशन में किस तरह के वर्कआउट्स फायदेमंद हैं-

  1. रनिंग

रनिंग करने से बॉडी में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हॉर्मोन्स का सिक्रिशन होता है और कोर्टिसोल का लेवल घटता है जो स्ट्रेस बढ़ाने वाला हॉर्मोन होता है। तनाव की स्थिति में ये हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, तो रनिंग इसे कम करने में प्रभावी है। रनिंग से मसल्स बनने के साथ ही हार्ट व ब्रेन भी हेल्दी रहता है।

  1. वेट लिफ्टिंग

वेट लिफ्टिंग के जरिए भी हल्के-फुल्के तनाव और अवसाद के लक्षणों से निपटा जा सकता है। वेट ट्रेनिंग के दौरान पूरा फोकस हाथों और शरीर पर होता है बाकी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाता। वेट लिफ्टिंग से मसल्स टोन्ड और स्ट्रॉन्ग होती है। ओवरऑल बॉडी फिट नजर आती है।

  1. योगा

बिना दौड़भाग के की जाने वाली बहुत ही बेहतरीन फिजिकल एक्टिविटी है योगा। तरह-तरह के शारीरिक मुद्राएं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शरीर के साथ आपके दिमाग पर भी काम करती हैं। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन का सुझाव एक्सपर्ट्स भी देते हैं। योग के महज 1/2 घंटे के अभ्यास से ही आपको अच्छा फील होगा।

  1. धूप का सेवन

धूप का सेवन तनाव, चिंता और अवसाद को दूर रखने में मददगार होता है। धूप से बॉडी में सेरोटोनिन का प्रोडक्शन होता है जो मूड को हैप्पी रखता है।

depression, workout for depression, workout for depression news,

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सूचना मात्र हैं। अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

Continue Reading

Trending