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पर्रिकर ने चौथी बार बने गोवा के सीएम, नौ मंत्रियों ने भी ली शपथ

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पणजी। भाजपा नेता मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार को चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने राजभवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।

पर्रिकर ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय मंत्रियों वेंकैया नायडू, नितिन गडकरी, जे.पी. नड्डा सहित शीर्ष पार्टी नेताओं और अन्य गणमान्यों की उपस्थिति में शपथ ली। पर्रिकर ने इसके पहले सोमवार को रक्षामंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

पर्रिकर के साथ ही नौ मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई। इनमें महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के सुदिन धवलीकर और मनोहर अजगांवकर तथा गोवा फॉरवर्ड के विजय सरदेसाई, विनोद पलिनकर व जयेश सालगांवकर और भाजपा के फ्रांसिस डिसूजा, पांडुरंग मडकैकर तथा निर्दलीय गोविंद गावडे व रोहन खाउंटे शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्रिकर को बधाई दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “मनोहर पर्रिकर और उनकी टीम को शपथ ग्रहण करने पर बधाइयां। गोवा को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए मेरी शुभकामनाएं।”

इसके पहले सर्वोच्च न्यायालय ने बहुमत साबित करने के लिए गुरुवार को शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दिया। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगदीश सिंह केहर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई तथा न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल की पीठ ने साथ ही कहा कि इसके लिए सभी आवश्यक औपचारिकताएं 15 मार्च तक पूरी कर ली जाएं, जिसमें निर्वाचन आयोग की तैयारी भी शामिल है।

गोवा विधानसभा में कांग्रेस के नेता चंद्रकांत कावलेकर ने राज्यपाल मृदुला सिन्हा के फैसले को चुनौती दी थी, जिन्होंने सरकार गठन के लिए भाजपा को आमंत्रित किया था।

शीर्ष अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की ‘संयुक्त शक्ति परीक्षण’ कराने की याचिका भी खारिज कर दी। कांग्रेस ने यह मुद्दा संसद में भी उठाया और भाजपा पर आरोप लगाया कि उसने मणिपुर और गोवा में जनादेश का सम्मान नहीं किया, तथा उसने सबसे बड़ी पार्टी न होने के बावजूद सरकार बनाने का दावा पेश किया।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पर्रिकर के मुख्यमंत्री बनने का बचाव किया। उन्होंने कांग्रेस के उस आरोप पर पलटवार किया, जिसमें उसने कहा था कि भाजपा ने मणिपुर और गोवा में सत्ता हथियाने के लिए धनबल का इस्तेमाल किया।

जेटली ने कहा, “कांग्रेस की शिकायत जरूरत से ज्यादा है। वे भाजपा पर गोवा में समर्थन हासिल करने के लिए धनबल के इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय में उनकी याचिका भी असफल रही। उन्होंने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाने की कोशिश की।”

जेटली ने मंगलवार को अपने फेसबुक पेज पर लिखा, “यहां तक कि कांग्रेस ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा तक पेश नहीं किया। उन्हें सिर्फ 17 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। मनोहर पर्रिकर चूंकि 21 विधायकों के समर्थन का दावा पेश कर चुके थे, ऐसे में राज्यपाल 17 विधायकों वाले अल्पमत के दावेदार को सरकार बनाने के लिए आमंत्रण नहीं दे सकती थीं।”

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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